सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच कैसे शुरू हुआ था 'युद्ध'
नई दिल्ली. क्रिकेट में एक ओर जहां छक्के और चौकों की बारिश होती है. बल्लेबाज शतक लगाते हैं, गेंदबाज विकेट उड़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले इस खेल में कई विवाद भी जन्म लेते हैं. एक ऐसे ही विवाद की शुरुआत हुई थी 2005 में जिसने भारतीय क्रिकेट को ही नहीं बल्कि पूरी क्रिकेट की दुनिया को हिलाकर रख दिया था. बात हो रही है सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और ग्रेग चैपल (Greg Chappell) विवाद की जिसने एक पल में पूरी टीम इंडिया को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया था. आइए बताते हैं कैसे.
गांगुली ने बनवाया चैपल को कोच
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ग्रेग चैपल (Greg Chappell) ने 2005 में जॉन राइट का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भारतीय टीम का दामन थामा. चैपल ने मोहिंदर अमरनाथ, डेव व्हाटमोर, टॉम मूडी जैसे दिग्गजों को पछाड़कर भारतीय क्रिकेट टीम का कोच पद हासिल किया. चैपल को कोच बनाने में सबसे बड़ा हाथ था सौरव गांगुली का, जो उन्हें हर हाल में टीम का कोच चाहते थे. सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) उस वक्त भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम थे, उन्होंने मैच फिक्सिंग विवाद से टूट चुकी टीम को दोबारा खड़ा किया था, ऐसे में सेलेक्टर्स गांगुली की बात कैसे टालते, बना दिया चैपल को कोच. हालांकि गांगुली ये नहीं जानते थे कि जिन चैपल को वो भारतीय टीम का कोच बना रहे हैं, एक दिन वही उनके हाथ से कप्तानी भी छीन लेंगे और टीम इंडिया से उन्हें बाहर भी कर देंगे.
कैसे हुई विवाद की शुरुआत
ग्रेग चैपल (Greg Chappell) की बतौर कोच पहली सीरीज थी श्रीलंका में खेला गया इंडियन ऑयल कप. स्लो ओवर रेट की वजह से गांगुली पर 4 मैचों का बैन लगा जिस वजह से टीम की कमान राहुल द्रविड़ ने संभाली. गांगुली (Sourav Ganguly) की जगह सुरेश रैना और वेणुगोपाल राव जैसे बल्लेबाजों को टीम में मौका मिला. सीरीज खत्म होने के बाद भारतीय टीम में गांगुली की वापसी हुई. वो जिम्बाब्वे दौरे पर गए और वहीं एक पल में सबकुछ बदल गया.
बुलावायो टेस्ट से पहले बवाल
जिम्बाब्वे दौरे से पहले सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की फॉर्म खराब चल रही थी. टेस्ट में उन्होंने दो सालों से शतक नहीं लगाया था. जिम्बाब्वे दौरा एक प्रैक्टिस मैच से शुरू हुआ और गांगुली के पास लय हासिल करने का अच्छा मौका था. लेकिन चैपल (Greg Chappell) गांगुली के पास आए और उन्हें कप्तानी छोड़कर बल्लेबाजी पर काम करने के लिए कहा. इसके बाद चैपल ने बुलावायो टेस्ट से पहले एक ऐसा बयान दिया जिसे सुन गांगुली बुरी तरह भड़क गए. चैपल ने कहा कि अगर मेरा बस चले तो मैं गांगुली की जगह युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे युवा बल्लेबाजों को मौका दूंगा. गांगुली चैपल के इस बयान से बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने जिम्बाब्वे दौरा बीच में ही छोड़ने का मन बना लिया. इसके बाद टीम डायरेक्टर अमिताभ चौधरी, ग्रेग चैपल और राहुल द्रविड़ ने किसी तरह गांगुली को मनाया. गांगुली बुलावायो टेस्ट में खेले और उन्होंने 101 रनों की पारी खेली. इसके बाद गांगुली ने मीडिया में बयान दिया कि उनपर कप्तानी छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था और इसी दबाव के बाद उनके अंदर शतक लगाने का जुनून आया.
ग्रेग चैपल का विवादित ईमेल
जिम्बाब्वे दौरा खत्म होने के बाद ग्रेग चैपल ने बीसीसीआई को एक ऐसा ईमेल किया जो मीडिया में लीक हो गया. चैपल ने इस ईमेल में गांगुली की आलोचना करते हुए उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर बताया था. साथ ही उन्होंने लिखा कि गांगुली (Sourav Ganguly) टीम इंडिया की कप्तानी करने लायक नहीं हैं. ईमेल लीक होने के बाद बीसीसीआई ने मुंबई में चैपल और गांगुली को बुलाया और उनसे सफाई मांगी. इस बीच भारत लौटने के बाद हरभजन सिंह ने भी ग्रेग चैपल पर धावा बोल दिया. उन्होंने चैपल को दोयम दर्जे का टीम में डर पैदा करने वाला कोच बताया. टीम इंडिया के कई खिलाड़ी इस मामले में सौरव गांगुली के साथ खड़े नजर आए.
वनडे टीम से गांगुली बाहर
इन विवादों के बीच अक्टूबर 2005 में भारतीय टीम को श्रीलंका दौरे पर 7 मैचों की वनडे सीरीज खेलने जाना था और गांगुली (Sourav Ganguly) चोट की वजह से पहले चार वनडे से बाहर हो गए. गांगुली की गैरहाजिरी में राहुल द्रविड़ ने कप्तानी की और टीम इंडिया ने पहले चार मैच जीत लिये. आखिरी तीन मैचों के लिए टीम इंडिया में बदलाव हुए लेकिन गांगुली को टीम में नहीं चुना गया, इसके बाद उन्हें साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में भी मौका नहीं मिला.
गांगुली समर्थकों का विरोध-प्रदर्शन
गांगुली को टीम से बाहर करने के बाद जैसे भारतीय क्रिकेट फैंस भड़क गए. साउथ अफ्रीका के खिलाफ चौथे वनडे मैच के लिए जब टीम इंडिया ईडन गार्डन्स पहुंची तो फैंस ने चैपल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद चैपल ने उन फैंस को बीच की उंगली दिखाकर इशारे ही इशारे में गाली दी. मैच के दौरान भारतीय फैंस ने साउथ अफ्रीकी टीम का समर्थन किया. टीम इंडिया ये मुकाबला 10 विकेट से हार गई.
इसके बाद गांगुली (Sourav Ganguly) को श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया में जगह मिली लेकिन कप्तानी राहुल द्रविड़ के पास ही रही. उस वक्त के चीफ सेलेक्टर किरण मोरे ने गांगुली को बतौर बैटिंग ऑलराउंडर टीम में जगह दी. गांगुली को टीम में तो जगह मिल गई लेकिन इस बीच चैपल युवराज सिंह को मिडिल ऑर्डर में मौका देना चाहते थे और उन्होंने चेन्नई टेस्ट में ऐसा ही किया. हालांकि अगले टेस्ट में गांगुली को मौका मिला क्योंकि सहवाग की तबीयत खराब हो गई थी. इस मैच की दोनों पारियों में गांगुली ने 39 और 40 रनों की पारी खेली, वहीं युवराज ने पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में नाबाद 75 रन बनाए. इस टेस्ट के बाद सौरव गांगुली को फिर टीम से बाहर कर दिया गया. इंग्लैंड सीरीज और वेस्टइंडीज दौरे के लिए भी गांगुली को टीम में जगह नहीं मिली.
साउथ अफ्रीका दौरे पर गांगुली की वापसी
साल 2006 में भारतीय टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में लीग स्टेज से ही बाहर हो गई, वहीं साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में उसे 4-0 से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद टेस्ट सीरीज में गांगुली की वापसी हुई. टूर मैच में गांगुली (Sourav Ganguly) ने अपना जलवा दिखाया और 37 रन पर 4 विकेट खो चुकी टीम इंडिया को उन्होंने संभाला. गांगुली ने 87 रनों की पारी खेली. इसके बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग टेस्ट में सौरव गांगुली ने पहली ही पारी में 51 रन बनाए और इस पारी ने भारत को साउथ अफ्रीका में पहली टेस्ट जीत दिलाई. इसके बाद गांगुली की श्रीलंका और वेस्टइंडीज सीरीज के लिए वनडे टीम में वापसी हुई जहां उन्होंने तकरीबन 70 की औसत से रन बनाए. साल 2007 में गांगुली ने अपने बल्ले का जलवा दिखाया और उन्होंने 61.44 की औसत से 1106 रन बनाए. वहीं वनडे में गांगुली ने 44.28 की औसत से 1240 रन बनाए. साल 2007 वर्ल्ड कप के बाद ग्रेग चैपल का कोचिंग करार खत्म हो गया, जिसे उन्होंने खुद आगे नहीं बढ़ाया. वहीं गांगुली ने साल 2008 में संन्यास ले लिया.
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