बंदूक की गोलियों को अगर आग में डाल दें तो क्या होगा? जानकर चौंक जाएंगे

बंदूक की गोली और कारतूस में बहुत अंतर होता है। कारतूस चलाने पर कारतूस का खोल धमाके से अलग हो जाता है और निशाने पर लगनेवाली चीज़ धातु की नुकीली गोली होती है जो बहुत तेज गति से जाकर निशाने को भेद देती है। धातु की यह गोली बहुत तेज आग में गल जाती है। इसका गलना इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह किस धातु या एलॉय से बनी है या आग कितनी तेज धधक रही है।




कारतूस इन चीजों से मिलकर बनता हैः धातु की गोली (1), खोल या आवरण (2), , मसाला या बारूद (3), रिम (4), और प्राइमर (5)।




यदि हम कारतूस को आग में जलाएं तो उसके बहुत रोचक परिणाम होंगे। कारतूस को आग में फेंकने पर गोली अपने आप नहीं चल पड़ेगी, ऐसा केवल फिल्मों मे ही होता है।। आग के संपर्क में आने पर प्राइमर और मसाला आग पकड़ लेंगे। प्राइमर विस्फोटक सामग्री से बनता है लेकिन कारतूस में इसकी मात्रा बहुत कम होती है। यह केवल एक छोटा धमाका और चिंगारी उत्पन्न करके मसाले को जलाने का काम करता है।




मसाला जलने पर विस्फोट नहीं करता। यह एक सुनिश्चित दर या गति से जलता है। इसके जलने पर बहुत गरम गैसें निकलती हैं जो बंदूक की नली (बैरल) के अंदर गोली को गति प्रदान करती हैं। गोली के तेज धमाके से नली से बाहर निकलते ही कारतूस का खोल वहीं कुछ दूरी पर गिर जाता है। कारतूस में मसाले का काम वही है जो स्पेस रॉकेट में बूस्टर में भरे ईंधन का होता है।




कारतूस को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि प्राइमर के जलने पर गैसें तेजी से निकलें। प्राइमर हल्की सी चोट या धमक पहुंचने ऐक्टिव हो सकता है, इसीलिए कारतूसों को हमेशा गत्ते के डिब्बों में बेचा और स्टोर किया जाता है। कुछ लोग कारतूसों को ज्यादा सुरक्षित रखने के लिए लोहे के बॉक्स का उपयोग करते हैं जो कि बहुत खतरनाक होता है और पूरे बॉक्स को बम जितना खतरनाक बना सकता है।


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