CoronaVirus Effect: प्रायवेट स्कूल संघ ने की मांग, सरकार स्कूल फीस माफ करने का आदेश नहीं दे

CoronaVirus Effect: बजट प्राइवेट स्कूलों के देश के सबसे बड़े संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (NISA) ने सरकार से गुहार लगाकर राहत की मांग की है। NISA ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखा है। NISA ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार 3 महीने की स्कूल फीस माफ करने जैसे आदेश ना दें क्योंकि प्रायवेट स्कूल पहले ही आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।

NISA ने अपने पत्र में लिखा कि प्रायवेट स्कूल भी फिलहाल वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं। स्कूलों को जुलाई तक स्कूल बसों की EMI, रोड टैक्स, स्कूल बस टैक्स, कर्मचारियों की ईपीएफ, ईएसआई, प्रॉपर्टी टैक्स के अलावा बिजली और पानी का टैक्स चुकाना होता है। NISA ने मौजूदा स्थिति में प्रायवेट स्कूलों को इन सबसे छूट देने की मांग की है। साथ ही पत्र में सरकार द्वारा 3 महीने की स्कूल फीस माफ करने जैसे आदेश जारी नहीं करने की मांग भी की गई है। इतना ही नहीं NISA नें पिछले कुछ वर्षों से लंबित EWS श्रेणी के छात्र-छात्राओं की प्रतिपूर्ति राशि भी तत्काल जारी करने की मांग की है।

NISA के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि देश में कोरोना महामारी के कारण निजी स्कूल विशेषकर बजट स्कूलों के सामने अर्थिक संकट की स्थिति बन गई है। देश में कुल 5 लाख से अधिक प्रायवेट स्कूल हैं जो करोड़ों गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के काम में जुटे हैं। इसके अलावा इन स्कूलों से 2 करोड़ से अधिक शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की आजीविका भी जुड़ी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ संगठनों अपने स्वार्थों के लिए स्कूलों से फीस माफ करने की मांग कर रहे हैं।

NISA अध्यक्ष ने कहा कि स्कूल पहले ही अपने कर्मचारियों को वेतन आदि देने में चुनौती का सामना कर रहे हैं। कुछ बड़े व एलीट स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो अन्य स्कूलों के पास अतिरिक्त बचत नहीं होती है। ऐसे में यदि सरकार द्वारा स्कूल फीस माफ करने जैसा आदेश जारी किया जाता है तो स्कूलों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में NISA मांग करता है कि सरकार ऐसे आदेश जारी ना करें। पत्र में ये भी मांग की गई कि सरकार स्कूलों के लिए नए सत्र की घोषणा करें जिसमें छुट्टियां कम की जाए। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि नए सत्र में 220 दिनों तक कक्षाएं सुचारु रूप से चलें। स्कूल फीस माफी के आदेश की बजाय सरकार को चाहिए कि वो गरीब बच्चों के अभिभावकों के बैंक खातों में स्कूल फीस के बराबर की राशि डालकर उनकी मदद करें।

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