क्या होगा 22वें दिन, 21 दिन के लॉकडाउन के बाद

पूरे देश में इस समय 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है. हर कोई अपने अपने घरों में सुरक्षित बैठा है, पर 21 दिन बाद का क्या, क्या किसी ने सोचा है कि 22वां दिन कैसा होगा, क्या होगा? 21 दिन घरों में एहतियात के तौर पर रहनेवाले लोग जिस 22वें दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, आख़िर क्या नज़ारा होगा उस 22वें दिन का क्या आपने सोचा है? नहीं न, तो हम आपको बताते हैं, क्या हो सकता है 22वें दिन और दरअसल क्या होना चाहिए.




क्या हो सकता है 22वें दिन?


– 21 दिन घरों में रहने के बाद 22वें दिन सब इस तरह से घर से बाहर सड़कों पर आ जाएंगे, जैसे हमने कोई जंग जीत ली है, जैसा कि कुछ लोगों ने जनता कर्फ्यू वाले दिन किया था. सड़कों पर तिरंगा फहराकर, देशभक्ति नारे लगाये जाएंगे. हमारा देश कितना महान है और हम कितने अच्छे इसका बखान शुरू कर देंगे. शायद लोग ये भूल जाएं कि जिस कोरोना वायरस के खिलाफ ये जंग छिड़ी है, हमसे उसे हराया नहीं है, बल्कि सिर्फ़ उसकी गति को धीमा करने की कोशिश की है.


बहुत से पढ़े-लिखे समझदार लोग जो घर पर रहकर बहुत बड़ा त्याग कर रहे हैं, वो 22वें दिन ही रेस्टोरेंट, मॉल, सिनेमाघर, पार्क जैसे पब्लिक प्लेसेस पर टूट पड़ेंगे. हो सकता है, जिस सोशल डिस्टेंसिंग को हम फॉलो कर रहे हैं, वो उसे एकदम से अनदेखा कर दें. ज़रूरी नहीं कि आप जहां जाएं वहां वो वायरस मौजूद हो, पर सावधानी को एकदम से नकारा नहीं जा सकता.


– सभी छोटे-बड़े बिज़नेस और कार्पोरेट ऑफिसेज़ 22वें दिन अपने रोज़ के समय पर शुरू हो जायेंगे. कंपनी में अधूरा काम पूरा करने के लिए हो सकता है, लोग डबल शिफ्ट में काम करें या फिर, देरी तक बैठकर काम करें और इस बीच हाइजीन को पूरी तरह अनदेखा कर दें, जिससे संक्रमण बड़े पैमाने पर फैल सकता है.


– जो दिहाड़ी मज़दूर या घरों में काम करनेवाले लोग अपने-अपने गांवों में चले गए हैं, सब तुरंत शहर के लिए रवाना हो जाएंगे, ताकि जल्द से जल्द काम पर लौटकर अपनी बदहाली को सुधार सकें. उनमें से अगर एक को भी वायरस के लक्षण हुए और जो शायद चेकअप आदि से किसी तरह बच गया होगा, अगर वो बस या ट्रेन से आएगा, तो अपने साथ 50 और संक्रमित व्यक्तियों को शहर लाएगा.


– सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के एक साथ शुरू हो जाने से अचानक से सब जगह भीड़ ही भीड़ नज़र आएगी. पूरे देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोग टूट पड़ेंगे और नतीजा ये होगा कि बड़े पैमाने पर संक्रमण दोबारा तेज़ी से फैलने की संभावना बहुत बढ़ जायेगी.




– आपको बता दें कि ठीक 22वें दिन भारत में सभी भूल जाएंगे कि हम अभी भी महामारी के बीच मौजूद हैं और अभी ग्लोबल लेवल पर हाहाकार मचा हुआ है. हर कोई अपने रोज़मर्रा के काम पर लग जायेगा. मास्क, सैनेटाइज़र और पर्सनल हाइजीन को अनदेखा कर देंगे, क्यों? क्योंकि हमने तो वायरस का तोड़ निकाल लिया है, जी हम 21 दिनों तक घरों में थे.


यहां हमें यह समझना ज़रूरी है कि अगर 22वें दिन हमनें ये ग़लतियां की,तो 21 दिनों का हमारा लॉकडाउन बेकार हो जायेगा और शायद हमें फिर से एक और लॉकडाउन का सामना करना पड़े. अगर हम नहीं चाहते कि दोबारा देश लॉकडाउन में जाये, तो हमें कुछ बातों पर ध्यान देना होगा.


क्या कर सकते हैं हम?


– हम सभी को समझदारी से काम लेना होगा. 22वें दिन जश्न न मनाने लगें, बल्कि पिछले चार हफ़्ते से जो एहतियात बरत रहें हैं, उन्हें जारी रखें. याद रखें कि अभी वायरस का अंत नहीं हुआ है, बस अंत की शुरुआत है.


– अगर हमने ये ग़लती की, तो उसका नतीजा कितना भयानक हो सकता है, इसकी जानकारी उन सभी लोगों तक पहुंचाएं, जो ये लेख नहीं पढ़ सकते.लॉकडाउन को धीरे-धीरे ख़त्म करें. उदहारण के लिए-


22वें दिन से एक हफ़्ते तक सिर्फ़ ज़रूरी चीज़ों की ही शुरुआत हो, जैसे कि बैंक, किराना की दुकानें और पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बेहद कम हो.


उसके अगले हफ़्ते में हालात को देखते हुए, इन चीज़ों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, फिर भी बड़ी संख्या में लोगों को जमा होने से रोकें और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख़्याल रखा जाये.


थियेटर, मॉल और पार्क जैसे सार्वजानिक स्थान सबसे अंत में खोले जाएं.




अगर हम सच में स्थिति की गंभीरता को समझ जाएं और मुसीबत की इस घड़ी में एक साथ खड़े रहें, तो सवा सौ करोड़ भारतीयों की ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आ जायेगा.


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