Lockdown: जानिए कब लगता है NSA और कितनी है सजा, CM योगी ने जमातियों पर लगाने का दिया आदेश



नई दिल्ली. अगर जमातियों (Tablighi Jamat) ने यूपी में अब कहीं भी हंगामा किया तो उनके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं. लेकिन एनएसए कब लगता है और उसके लगने पर कितनी सजा होती है. क्या लॉकडाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने, डॉक्टर-पुलिस पर हमला करने और कोरोना वायरस से बचाव के काम में सहयोग न करने पर भी एनएसए लग सकता है. न्यूज़ 18 हिन्दी ने कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए बात की सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट मोहम्मद इरशाद अहमद से.

एनएसए में एक साल बाद मिलती है जमानत

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट मोहम्मद इरशाद अहमद का कहना है कि देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने पर और ऐसा लगे कि कोई इंसान देश के लिए खतरा बन सकता है तो ऐसे इंसान पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. अगर पहली स्टेज में राज्य सरकार कोर्ट में इसे साबित कर देती है तो गुनाहगार को एक साल से पहले जमानत नहीं मिलती है. वहीं जुर्म साबित होने पर सजा का प्रावधान यह है कि कोर्ट जब तक यह न मान ले कि अब गुनाहगार से देश को कोई खतरा नहीं है तो वो उसे नहीं छोड़ती है. इरशाद अहमद बताते हैं कि इसमे कोई सजा नहीं होती है, बस यह कोर्ट पर निर्भर करता है.

बीमारी फैलाने और इलाज में सहयोग न करने पर लगेंगी यह धारा

एडवोकेट इरशाद का कहना है कि अगर आप किसी भी बीमारी को फैलाते हैं और इलाज में सहयोग नहीं करते हैं तो आपके ऊपर प्रिवेंशन ऑफ एपिडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है. हालांकि पुलिस स्टेशन के लेवल से ही इस एक्ट में जमानत मिल जाती है, लेकिन साबित होने पर एक साल तक की सजा हो सकती है. वहीं डॉक्टर और पुलिस के काम में रुकावट डालने पर आईपीसी एक्ट 353 में कार्रवाई की जाती है. इस एक्ट में पुलिस स्टेशन से जमानत नहीं मिलती है. इसमें एक से दो साल तक की सजा है.

इस आरोप के बाद सीएम योगी ने एनएसए लगाने का लिया फैसला

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में तबलीगी जमात के लोगों द्वारा सरकारी अस्पताल में अभद्रता किए जाने के आरोप लगे हैं. यहां तबलीगी जमात के लोगों को क्वारेंटाइन या आइसोलेशन में रखा गया है. गुरुवार की रात डयूटी पर मौजूद नर्सों ने जमात के लोगों द्वारा अभ्रदता किए जाने का आरोप लगाया था. इसके बाद सीएम योगी ने सख्त रुख अपना लिया है. उन्होंने कहा है कि वहां न तो महिला स्वास्थ्यकर्मी की ड्यूटी लगेगी न ही किसी महिला पुलिसकर्मी की तैनाती होगी. वहीं आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की जाएगी.

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