लॉकडाउन 4.0 का कैसा होगा रंग-रूप, किसे मिलेगी छूट, कहां कसेगा शिकंजा?





पूरी दुनिया में दहशत फैलाने के बाद कोरोना वायरस जिस तरह से भारत में पांव पसार रहा था, उसे देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन जैसा कदम उठाना जरूरी समझा. लेकिन अब इसे खत्म करना भी जरूरी हो गया है. क्योंकि इससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं, जो रोजगार आदि जैसी समस्या पैदा कर रही है. हालात अगर ऐसे ही रहे तो हमारी इकोनॉमी तबाह हो जाएगी. ऐसे में केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के चौथे भाग में कुछ ढील देने की बात कही है. जिससे कोरोना महामारी के प्रसार पर भी काबू रहे, साथ ही देश की इकोनॉमी भी पटरी पर लौट सके.

जानकारी मिली है कि इस लॉकडाउन में भविष्य को देखते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं, जिससे कोरोना वायरस के साथ-साथ हमारी जिंदगी भी चलती रहे.

वर्तमान हालात को नई सामान्य स्थिति मानते हुए अब देश आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है. लॉकडाउन-4 में साफ-सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क आदि सुरक्षा का ख्याल रखते हुए कई चीजों में ढील मिलेगी. हालांकि कंटेनमेंट जोन के लिए स्थितियां पहले जैसे ही रहेंगी.

जाहिर है कोई भी राज्य पूरी तरह से लॉकडाउन खत्म किए जाने के पक्ष में नहीं है. सभी धीरे-धीरे बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा, 'कोई भी राज्य सरकार लॉकडाउन खत्म नहीं करना चाहती है लेकिन सभी आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के पक्ष में हैं.'

नए लॉकडाउन यानी चौथे हिस्से में स्कूल, कॉलेज, मॉल और मूवी थियेटर किसी भी इलाके में नहीं खुलेंगे. वहीं सैलून, नाई की दुकान और स्पा सेंटर को रेड जोन में सावधानी के साथ खोला जा सकता है. हालांकि कटेंनमेंट इलाके में यह बंद रहेगा. इसके अलावा ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन में भी यह खुला रहेगा.

बता दें, शुक्रवार तक सभी राज्यों को अपने सुझाव केंद्र सरकार को सौंपना था.

कई राज्य लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में

आजतक को जानकारी मिली है कि पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना लॉकडाउन को अभी आगे बढ़ाने के पक्ष में थे. पंजाब सरकार ने पहले की तरह ही लॉकडाउन लागू रखने की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को छूट देने की मांग की थी. जिससे धीरे-धीरे राज्य इस हालत से बाहर निकलने और कोरोना संक्रमण से बचते हुए आर्थिक सुधारों के लिए एग्जिट प्लान की रणनीति पर काम कर सके.

बीजेपी शासित त्रिपुरा ने भी अन्य सरकारों की तरह ही राज्य को ढील देने की मांग की थी. जिससे कि वो हालात के मुताबिक ग्रीन, ऑरेंज और रेड जोन तय कर सकें. एक सूत्र ने कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात समेत कई अन्य राज्यों की बुरी हालत है.

सिक्किम ने भी ढील नहीं देने को कहा

सिक्किम जैसा राज्य, जहां पर एक भी कोविड-19 का केस नहीं है, उन्होंने भी कठोर लॉकडाउन की मांग की है. जबकि इनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन पर आधारित है. सिक्किम का मानना है कि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति गलती से भी वहां पहुंच जाता है तो फिर पूरे राज्य में इसके फैलने का खतरा रहेगा.

हालांकि केंद्र सरकार आने वाले कुछ दिनों में सार्वजनिक परिवहन, जैसे कि बस, रेल और घरेलू विमानों की आवाजाही में ढील दे सकती है. हालांकि तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्य मई के आखिर तक ट्रेन और विमान सेवा शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं.

ट्रांसपोर्ट कैसे होगा शुरू

- सभी तरह के ट्रांसपोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग और लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए प्लान तैयार किया गया है. केंद्र लोकल ट्रेन, बस और मेट्रो में हल्की ढील देने पर विचार कर रही है. जिसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी गई है. रेड जोन में इसे चलाया जाएगा, हालांकि कंटेनमेंट जोन को छोड़कर.

- ऑटो और टैक्सी को भी रेड जोन में चलाए जाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि यह ढील भी कंटेनमेंट जोन इलाकों में लागू नहीं होगी.

- परिवहन को अनुमति देने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और यात्रियों की संख्या को लेकर भी दिशा-निर्देश तैयार किया गया है.

बाजार कैसे करेगा काम?

केंद्र, इस मामले में राज्यों को कुछ छूट देगी. हालांकि यह छूट ऑरेंज और रेड जोन इलाकों के लिए ही होगी, जिससे कि दिल्ली जैसे राज्य अपनी सहूलियत के हिसाब से ऑड-ईवन की तर्ज पर सभी दुकानों को खोलने की पहल कर सके.

वहीं रेड जोन में भी ई-कॉमर्स के जरिए सभी तरह के सामानों की डिलिवरी की छूट दी जा सकती है. हालांकि यहां भी कंटेनमेंट इलाके में बंदिश रहेगी. सूत्रों का कहना है कि सभी राज्यों की कोरोना महामारी से लड़ने के लिए अलग-अलग तैयारी है. इसलिए सबको एक हिसाब से नहीं चलाया जा सकता है. फिर चाहे वो ढील देने की बात हो या लॉकडाउन जारी रखने की बात.

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