आईआईटी बॉम्बे फिर यूपीएससी में पहले ही प्रयास में AIR रैंक 4, कैसे पाई श्रेयांस कुमत ने यह सफलता?





Success Story Of IAS Shreyans Kumat:अधिकतर केसेस में यह माना जाता है कि कैंडिडेट यूपीएससी जैसी सर्विसेस में जाने का मन काफी पहले बना लेते हैं या इसे करियर ऑप्शन के तौर पर बहुत पहले अपना लेते हैं. पर श्रेयांस कुमत का केस एकदम अलग था. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे आईएएस की परीक्षा देंगे पर जब उन्होंने ऐसा सोचा तो न सिर्फ सोचा बल्कि पहले ही अटेम्प्ट में उसे सच कर दिखाया. जहां लोग सालों तैयारी करके और कई-कई बार एग्जाम देने के बाद भी चयनित नहीं होते, वहीं श्रेयांस ने पहले ही अटेम्पट में न केवल सफलता हासिल की बल्कि ऑल इंडिया रैंक 04 लेकर आये जो अति मुश्किल की श्रेणी में आता है. उन्होंने साल 2018 में अपने पहले ही प्रयास में यह कीर्तिमान स्थापित कर दिया था. आज जानते हैं श्रेयांस की सफलता की कहानी.


पूत के पांव पालने में ही दिख गये थे
श्रेयांस के ऊपर यह युक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है, क्योंकि श्रेयांस बचपन से ही पढ़ाई में एक्सट्रा ब्रिलियंट थे. जब वे एलकेजी में थे जो उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था कि उनकी टीचर ने कह दिया कि अगर इसके यूकेजी में 100 में से 100 अंक आ जाते हैं, तो इसे एक क्लास जंप करा देंगे. और ऐसा ही हुआ श्रेयांस पूरे नंबर ले आये और उनकी टीचर ने उन्हें एक कक्षा आगे बढ़ा दिया. इस प्रकार श्रेयांस ने बचपन में ही हिंट दे दिया था कि वे बाकी बच्चों से आईक्यू के मामले में काफी अलग हैं.


दादा की इच्छा थी बनें आईएएस
राजस्थान के अजमेर जिले के रहने वाले श्रेयांस का घर किशनगढ़ में है. उनके परिवार में मां-पापा और छोटी बहने के अलावा दादा-दादी हैं. श्रेयांस के दादा हमेशा से चाहते थे कि वे आईएएस बनें, लेकिन शुरुआती दिनों में उन्होंने इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि उनका रुझान अलग था. श्रेयांस के ऊपर कभी किसी प्रकार का दबाव उनके परिवार ने नहीं बनाया, उन्हें जो पढ़ना था, जो क्षेत्र चुनना था उन्होंने चुना. परिणामस्वरूप उन्होंने इंजीनियरिंग की फील्ड चुनी और आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. इसके बाद एक फर्म में बतौर मैनेजमेंट कंसल्टेंट दो साल तक काम किया.


समाज के लिये कुछ करने के विचार ने बदला नजरिया
कुछ समय नौकरी करने के बाद श्रेयांस के मन में यह विचार आया कि कोई ऐसा काम किया जाये, जिससे वे अपने और परिवार के अलावा समाज के लिये भी कुछ कर सकें. काफी सोचने और आत्ममंथन करने के बाद उन्होंने तय किया कि वे सिविल सर्विसेस के क्षेत्र को चुनेंगे. इसके पहले उन्होंने अक्सर होने वाली अपनी ट्रिप्स, जिनमें माउंटेनियरिंग सबसे ज्यादा आती है, में वे इस क्षेत्र के कई लोगों से मिलें. सरकारी कामकाज करने वाले ये लोग छोटे से लेकर बड़े लेवल तक पर बैठे लोग थे. मसलन उन्होंने एक आशा वर्कर से बात की तो एक आईएएस अधिकारी से भी. सबकुछ जानने समझने के बाद अंततः उन्होंने तय किया कि यही क्षेत्र उनके लिये श्रेष्ठ है.


सेल्फ स्टडी से पायी सफलता
अपनी मंजिल चुनने के बाद श्रेयांस ने सबसे पहले नौकरी छोड़ी और दिन-रात सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में जुट गये. उन्हें कोचिंग का कॉन्सेप्ट बहुत समझ नहीं आया तो उन्होंने सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया और आगे बढ़ गये. उन्होंने परीक्षा, परीक्षा के पैटर्न आदि के विषय का ठीक से पता किया और उसी के अनुसार अपनी स्ट्रेटजी प्लान की. वह रोज 8 से 10 घंटे पढ़ते थे. नियमित पढ़ाई और रिवीज़न पर उन्होंने बहुत जोर दिया.


इसके साथ ही खूब मॉक टेस्ट्स दिये. श्रेयांस ने हर दिन अखबार पढ़ा और प्री और मेन्स की तैयारी एक साथ की नतीजतन साल 2018 में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली. श्रेयांस की सफलता की कहानी यह बताती है कि करियर चुनने या बदलने का कोई सटीक समय नहीं होता. अगर सच्ची लगन है और मंजिल तक पहुंचने की तीव्र इच्छा हो तो कभी भी सफर पर निकल सकते हैं. बस साथ जीत का भरोसा जरूर ले जायें.


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