मुंबई से लौटे भाई के लिए छोड़ दिया कमरा, घर के बाहर बनाया डेरा

मुंबई से लौटे भाई के लिए छोड़ दिया कमरा, घर के बाहर बनाया डेरा


कोरोना के खौफ और लॉकडाउन की तमाम मुश्किलों के कारण रिश्तों की डोर भी कमजोर पड़ने लगी है। परदेस से लौटे दिव्यांग भाई को देख बहन दरवाजा बंद कर लेती है और संक्रमण का खतरा खत्म होने के बाद आने को कहती है। हालांकि इस माहौल में भी पीपीगंज के गांगपार के रामप्रवेश सरीखे लोग स्नेह और रिश्ते की नई मिसाल पेश कर रहे हैं।

पीपीगंज के गांगपार निवासी प्रमोद साहनी चार दिन पहले मुंबई से लौटे। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद उन्हें होम क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया। वह घर पहुंचे और पिता बैजनाथ को समस्या बताई। बैजनाथ इस चिंता में डूब गए कि महज दो कमरे के मकान में प्रमोद के होम क्वारंटीन के लिए अलग कमरे का इंतजाम कैसे करें। पिता की चिंता और प्रमोद की पीड़ा छोटे भाई रामप्रवेश ने पढ़ ली। उसने अपने कमरे से सारा सामान निकाला और बाहर पेड़ की छाव में लेकर चला गया।

रामप्रवेश ने प्रमोद ने कहा ‘भैया... आप इस कमरे में रहेंगे। 14 दिन घर पर ही बिताएंगे, आप बाहर निकले या बाहर सोए तो आपको यहां से लोग क्वारंटीन सेंटर लेकर चले जाएंगे। रामप्रवेश की बात सुनकर प्रमोद और पिता भावुक हो गए। रामप्रवेश ने भाई का सारा सामान उठाया और कमरे में रख दिया। खुद बाहर चारपाई लगवा ली। रामप्रवेश अब बीते चार दिन से बाहर ही सो रहा है।

भैया भी तो यही करते

रामप्रवेश का कहना है कि अगर भैया की जगह मैं होता तो भैया भी यही करते। यह संकट की घड़ी है। भैया का रोजगार छूट गया है। ऐसे में पहले से ही वह पीड़ा में है। इसके बाद अगर वह अपने घर आकर बाहर किसी स्कूल में रुकें या बाहर सोएं तो यह छोटे के लिए बेहद ही शर्म की बात होगी। भाई ने बहुत तकलीफ सह ली। अब थोड़ा आराम करने की बारी है।

घर में दो ही कमरे

रामप्रवेश के घर में दो कमरे हैं। एक में माता-पिता और बहन रहती हैं जबकि दूसरे में रामप्रवेश। इसके साथ ही एक बरामदा है और एक किचन। घर में अलग कमरे की व्यवस्था नहीं हो पाती तो प्रमोद को किसी क्वारंटीन सेंटर में ही जाना पड़ता। ऐसे में रामप्रवेश की पहल प्रमोद के लिए बड़ी राहत है।

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