नई दिल्ली: पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा तक का सफर तय करने वाली पंद्रह साल की ज्योति के दिन बहुरने वाले हैं। भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) ने लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ज्योति को ट्रायल के लिए बुलाया है। अगर ज्योति सीएफआई के मानकों पर थोड़ा भी खरा उतरती है तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी।
गुरुग्राम से दरभंगा का किया था सफर
ज्योति ने कोरोना संकट के कारण घोषित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान गुरुग्राम से दरभंगा तक का बारह सौ किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया था। इस दौरान उसके पिता मोहन पासवान भी उसके साथ थे। ज्योति रोजाना करीब डेढ़ सौ किलोमीटर साइकिल चलाकर आठ दिनों में गुरुग्राम से दरभंगा पहुंची थी।
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साइकिलिंग महासंघ करेगा मदद
मीडिया में आई खबरों के बाद भारतीय साइकिलिंग महासंघ के निदेशक वी एन सिंह ने कहा कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है। उन्होंने कहा कि अगर ज्योति में क्षमता है तो उसे महासंघ की ओर से पूरी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर हमें ज्योति में थोड़ी भी क्षमता दिखी तो हम उसे जरूर मौका देंगे। महासंघ की ओर से उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग भी दिलवाई जाएगी। हालांकि इससे पहले हम उसे परखेंगे और यदि वह हमारे मापदंडों पर खरी उतरती है तो उसे पूरी सहायता की जाएगी। उसे विदेशों से आयात की गई साइकिल पर ट्रेनिंग कराई जाएगी।
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लॉकडाउन के बाद दिल्ली में होगा ट्रायल
सीएफआई के निदेशक ने कहा कि मैंने ज्योति से बात की है और उससे कहा है कि वह लॉकडाउन खत्म होने के बाद मौका निकालकर दिल्ली आए। उसका इंदिरा गांधी स्टेडियम में छोटा सा टेस्ट लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा टेस्ट लेने का अपना तरीका है। हमारे पास वाटबाइक होती है और इस पर बच्चे को बैठाकर 4 से 5 मिनट का छोटा टेस्ट किया जाता है। इससे खिलाड़ी और उसके पैरों की क्षमता का पूरा पता लग जाता है। वैसे उन्होंने यह भी कहा कि ज्योति ने इतनी दूर तक साइकिल चलाई है तो निश्चित रूप से उसके पैर मजबूत होंगे और उसके पैरों में काफी क्षमता होगी।
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बच्ची के लिए इतना लंबा सफर आसान नहीं
उन्होंने कहा कि 15 साल की बच्ची के लिए इतना लंबा सफर साइकिल से तय करना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें मीडिया के जरिए यह जानकारी मिली है और यदि ज्योति ने सचमुच में ऐसा काम किया है तो उसमें काफी क्षमताएं होंगी। साइकिल पर पिता के साथ ही उसके पास थोड़ा सामान भी जरूर रहा होगा। ऐसे में ज्योति ने जो काम किया है वह काबिलेतारीफ है। इसी कारण हमने उसका छोटा सा टेस्ट लेकर उसे विशेष ट्रेनिंग देने की योजना बनाई है ताकि वह आगे चलकर देश का सम्मान बढ़ा सके।
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लॉकडाउन खत्म होने पर ज्योति का ट्रायल
ज्योति के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे और उनके दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां के साथ गुरुग्राम आई थी। ज्योति का कहना है कि उसके पास साइकिलिंग महासंघ की ओर से फोन आया था और उन्होंने मुझे ट्रायल के लिए बुलाया है। ज्योति का कहना है कि इतनी लंबी दूरी तक साइकिल चलाने के कारण मैं अभी बहुत थकी हुई हूं, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद मैं ट्रायल में जरूर हिस्सा लूंगी। ज्योति का कहना है कि अगर मुझे सफलता मिली तो मैं साइकिलिंग में देश का प्रतिनिधित्व कर देश का नाम बढ़ाना चाहती हूं। ज्योति ने यह भी कहा कि वह पढ़ाई छोड़ चुकी है मगर मौका मिला तो दोबारा पढ़ाई करने की इच्छुक है।
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