कोरोना संकट के बीच हैदराबाद से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। जहां पर कोरोना मरीज महिला को उसकी बेटियों के साथ ठीक होने के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है। लेकिन महिला का कहना है कि उसका पति भी कोरोना संक्रमित था, जो लंबे समय से लापता चल रहे हैं। वहीं अस्पताल का कहना है कि उस शख्स की एक मई को ही मृत्यु हो गई थी। उनके मुताबिक मौत के बाद परिवार को सूचित किया गया और फिर शव का दाह संस्कार कर दिया गया।
एक ट्वीट से मामला आया सामने
दरअसल, यह मामला सुर्खियों में एक ट्वीट के माध्यम से सामने आया। हैदराबाद के वनस्थलीपुरम कॉलोनी में रहने वाली आलमपल्ली माधवी ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि उनके पति ए मधुसूदन जो एक राइस मिल में काम करते थे अस्पताल से 16 मई को छुट्टी मिलने के बाद उनके साथ घर नहीं आए। उन्होंने इस ट्वीट को तेलंगाना सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामाराव को भी टैग किया।
मंत्री से की शिकायत
महिला ने मंत्री से शिकायत करते हुए लिखा कि उनके पति को 27 अप्रैल को ही किंग कोठी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 30 अप्रैल को गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया। महिला का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने प्रक्रिया पूरी किए बिना ही उनके पति के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार कर दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल ने उनके दाह संस्कार का कोई वीडियो या फुटेज भी नहीं दिखाया।
अस्पताल ने पहले ये किया था दावा
महिला आगे लिखती हैं कि 16 मई को जब अस्पताल से हमें छुट्टी मिला तो मैंने अस्पताल से अपने पति के बारे में पूछा था कि लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने पहले कहा कि पति अभी भी वेंटिलेटर पर हैं लेकिन बाद में आकर कहते हैं कि वह मर चुके हैं। उन्होंने मंत्री से अपने पति के लापता होने की जांच कराने की मांग की। जबकि गांधी अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि महिला के पति को कोरोना के साथ साथ सांस लेने की भी बीमारी थी, वो अस्पताल में भर्ती होने के एक बाद ही चल बसे।
अंतिम संस्कार किया गया
अस्पताल ने आगे बताया कि उनके पति के शव को प्रक्रिया के अनुसार, परिवार को सूचित किया गया और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को बदनाम करना गलत है, जो अपनी जीवन को खतरे में डालकर सैकड़ों कोरोना मामलों का इलाज कर रहे हैं। अस्पताल के बयान के बाद माधवी ने संवाददाताओं से कहा कि वह अस्पताल के तर्क से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पति जिंदा हैं, अगर मर चुके हैं तो अस्पताल सबूत दिखाए।
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