15 साल की नौकरी में दारोगा ने नहीं उठाया वेतन, रिटायरमेंट के बाद पेंशन पर भी नहीं किया है कोई दावा

 15 साल तक विभिन्न जिलों के थानों में नौकरी करने के बाद दारोगा लक्ष्मण सिंह 2013 में सेवानिवृत्त हो गए। इस दौरान उन्होंने एक रुपया भी वेतन नहीं उठाया। पेंशन आदि के लिए भी दावा नहीं किया। अभी उनका कोई पता नहीं है। मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी मीनू कुमारी ने जांच का आदेश दिया है। इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि इस दौरान उनकी जीविका कैसी चली। 

जीवित हैं या नहीं, किया जा रहा पता

लक्ष्मण सिंह 28 फरवरी, 2013 को खगडिय़ा में सेवानिवृत्त हुए थे। इसके सात साल बाद भी उन्होंने पेंशन का दावा नहीं किया है। विभाग के लोगों को यह भी नहीं पता है कि वह जीवित भी हैं या नहीं! सोमवार को पेंशन विभाग में कार्यरत अरुण तिवारी ने जब यह जानकारी दी, तो एसपी मीनू कुमारी चकित रह गईं। अब पुलिस लाइन में दारोगा से संबंधित फाइलें खंगाली जा रही हैं।

खगडि़या के कई थानों में हुई थी पोस्टिंग

पुलिस सूत्रों के अनुसार लक्ष्मण सिंह खगडिय़ा के गंगौर ओपी व मानसी थाना में भी पदस्थापित रहे। उन्होंने वेतन के लिए कोई प्रयास नहीं किया। अरुण तिवारी ने बताया कि लक्ष्मण सिंह का बांका से भागलपुर तबादला हुआ था। भागलपुर से वह खगडिय़ा आए थे। उन्होंने एलपीसी (लास्ट पे सर्टिफिकेट) उपलब्ध नहीं कराया। इस कारण उन्हें वेतन आदि नहीं दिया गया।

बांका में हुआ था तबादला

लक्ष्मण का 2005 में बगहा जिले से बांका तबादला हुआ था। अरुण तिवारी ने बताया कि फाइल देखने से लगता है कि उस समय उनसे पारिवारिक सूची की मांग की गई थी। दारोगा की इसमें दिलचस्पी नहीं रही। अब जांच के बाद ही लक्ष्मण सिंह के बारे में कोई जानकारी मिल सकती है। 

कहती हैं एसपी

पेंशन शाखा के कर्मी द्वारा इसकी जानकारी दी गई है। पता लगाने को कहा गया है कि आखिर क्या कारण था जो सेवानिवृत्ति के बाद भी दारोगा ने पेंशन आदि की राशि के लिए दावा नहीं किया। फाइल देखने से थोड़ी और जानकारी मिल सकती है। 

- मीनू कुमार, एसपी, खगडिय़ा।

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