सूर्य ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण घटना माना जाता है क्योंकि यह सभी प्राणी मात्र के जीवन को प्रभावित करने में सक्षम माना जाता है। इसके प्रभाव से जहां किसी को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो वहीं कुछ लोग ग्रहण काल से लाभ भी उठा सकते हैं।
कुंडली में ग्रहण दोष बनना या विभिन्न ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन और इसके विभिन्न पहलुओं, जैसे व्यवसाय, विवाह, परिवार और बहुत कुछ पर बहुत प्रभाव डालती है। बृहत् कुंडली से आपको अपने जीवन पर ग्रहों के प्रभाव को समझने में मदद मिलती है और सटीक कुण्डली, ग्रह योग एवं दोष के विश्लेषण और उपायों के माध्यम से विस्तृत जानकारी मिलती है। ग्रहण का प्रभाव हमारे करियर को भी प्रभावित कर सकता है। हालाँकि कई बार हम इस बात का सटीक जवाब पाने में असफल हो जाते हैं कि किस कैरियर को चुनने से हमें लाभ होगा या किस व्यवसाय में निवेश करना हमारे लिए फ़ायदेमंद रहेगा।
साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण और उससे जुड़ी कुछ रोचक बातें
21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल 2020 का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण होगा। गौरतलब है कि 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन भी माना जाता है और इसी दिन पड़ने वाला सूर्य ग्रहण वर्ष का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण होगा, इसलिए लोग बेसब्री से इस ग्रहण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए यह ऐसा मौका होगा, जब सब इस ग्रहण को देखना चाहेंगे लेकिन हम आपको आगाह करते हैं की नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण बिल्कुल ना देखें। ऐसा करना आपकी आंखों की रोशनी के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइये अब जानते हैं इससे सम्बंधित कुछ विशेष बातें:
21 जून का सूर्य ग्रहण सूर्य के ही दिन अर्थात् रविवार को घटित होगा जिस कारण से इसका नाम चूड़ामणि सूर्य ग्रहण कहलाएगा और यही वजह है कि इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सूर्य ग्रहण हमारे देश भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक भी मान्य होगा और ग्रहण संबंधित सभी नियमों का पालन करना हितकर रहेगा।
आषाढ़ मास की अमावस्या को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में आकार लेगा, इसलिए इस राशि और इस नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए विशेष रूप से इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव होगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें सूर्य के लगभग 99 फ़ीसदी भाग को चंद्रमा की छाया ढक लेगी। यह एक चमकीले छल्ले के रूप में दिखाई देगा।
कुछ जगहों पर यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में भी दिखाई देगा अर्थात् कुछ जगहों पर देखने पर सूर्य पूरी तरह से ग्रसित नहीं होगा। इसी कारण किसी जगह पर यह वलयाकार रूप में दिखेगा और कुछ जगहों पर यह कुणडलाकार या कंगन के आकार के सूर्य ग्रहण के रूप में दृश्यमान होगा।
ज्योतिष के अनुसार जहां जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, वहां वहां इसका सूतक भी मान्य होगा। यदि हिंदू पंचांग की बात करें तो यह सूर्य ग्रहण भारत के साथ-साथ चीन के मध्य और दक्षिणी हिस्सों, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर, बर्मा, फिज़ी, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भागों, पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान में भी दिखाई देगा। इनके अलावा यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी पूर्वी यूरोप, इथोपिया, कांगो, सऊदी अरब, यूएई, नेपाल और अफ्रीका के भी कुछ भागों में दिखाई देगा।
यदि अपने देश भारत की बात की जाए तो भारत के टिहरी, देहरादून, सिरसा आदि प्रसिद्ध शहरों में यह वलयाकार सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। चंडीगढ़, हैदराबाद, नई दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, कोलकाता, चेन्नई, शिमला, लखनऊ, आदि में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में देखने को मिलेगा।
यह सूर्य ग्रहण रिंग ऑफ फायर की तरह दिखाई देगा इसलिए दिन में भी रात का अनुभव होने लगेगा।
इस ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पूर्व शुरू हो जाएगा। अर्थात् 20 जून की रात से ही इसका सूतक काल शुरू होगा और ग्रहण की समाप्ति के साथ ही इसका सूतक काल समाप्त हो जाएगा।
21 जून का सूर्य ग्रहण – इन राशि वालों को रहना होगा सावधान
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा की छाया सूर्य को ढक लेती है और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता तो ऐसा प्रतीत होता है कि मानो दिन में अंधेरा हो गया हो। 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण एक बड़ा ग्रहण है। ग्रहण काल में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है और ज्योतिष के दो महान ग्रहों सूर्य और चंद्रमा कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति ज्यादा शुभकारी नहीं होती। यही वजह है कि सूर्य ग्रहण को लेकर विभिन्न प्रकार के विचार किए जाते हैं। सूर्य ग्रहण का प्रभाव लगभग छह महीने तक ज्यादा असर देता है। 21 जून का सूर्य ग्रहण कुछ खास राशि के लोगों के लिए बहुत ही प्रभावशाली रहेगा और इन राशि वालों को सावधान रहना होगा क्योंकि यह सूर्य ग्रहण इनके लिए अत्यधिक शुभ नहीं है। ध्यान से जान लीजिए कि यह राशियां कौन-कौन सी हैं:
यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा, इसलिए इस ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव मिथुन राशि के जातकों पर पड़ेगा। आपको इस ग्रहण को बिल्कुल भी नहीं देखना चाहिए और ग्रहण काल में ग्रहों का मंत्र जाप करना चाहिए।
मिथुन राशि के लोगों को शारीरिक रूप से परेशानी होने के योग बनते हैं। आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और किसी प्रकार की चोट लग सकती है। व्यर्थ की चिंताओं से दूर रहना और सकारात्मक जीवन शैली अपनाने का प्रयास करना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।
मिथुन राशि के अलावा वृषभ राशि, कर्क राशि, धनु राशि और मकर राशि के लोगों को भी खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों को जहां आर्थिक तौर पर इस ग्रहण के प्रभाव से धन हानि के योग बन सकते हैं, वहीं कर्क राशि के लोगों को खर्चों में बढ़ोतरी और आर्थिक कमज़ोरी तथा स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं।
धनु राशि के लोगों को भी स्वास्थ्य के मामले में परेशानी उठानी पड़ सकती है और उनके दांपत्य जीवन में भी तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
जो लोग मकर राशि में जन्मे हैं, उनको भी शारीरिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ सकती है, इसलिए खासतौर से जब कोरोनावायरस समय चल रहा है तो इन राशि के लोगों को और सावधानी से तथा एक नियमित दिनचर्या का पालन करते हुए अपने सभी कार्य करने चाहिएं ताकि किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या से मुक्त रहा जा सके।
सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है इसका प्रभाव प्रत्येक राशि के लोगों पर पड़ता ही है। यही वजह है कि ज्योतिष और धर्म के विभिन्न ग्रंथों में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के महत्व को काफी प्रमुखता से बताया गया है और इस दिन विशेष रूप से दान और पुण्य करना तथा पवित्र नदियों के जल में स्नान करना अत्यन्त शुभ माना जाता है।
मेष राशि, सिंह राशि, कन्या राशि और तुला राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण मध्यम फल देने वाला साबित होगा। शेष राशि के लोगों को लगभग शुभ फलों की प्राप्ति होने के योग बनेंगे।
चूँकि यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में पड़ रहा है, इसलिए मिथुन राशि वाले लोगों को खासतौर पर इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचना चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव सबसे अधिक उन पर ही होगा। विभिन्न वैद्यों, डॉक्टरों और ज्योतिषियों के लिए यह ग्रहण काफी प्रभावशाली रहेगा।
21 जून का सूर्य ग्रहण क्यों है इतना खास
21 जून को जगह सूर्य ग्रहण पड़ेगा, तब विशिष्ट ग्रह स्थिति का निर्माण हो रहा होगा क्योंकि उस समय में बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु वक्री अवस्था में होंगे। राहु और केतु सदैव ही बकरी रहते हैं। इस प्रकार एक साथ छह ग्रहों का वक्री होना वास्तव में इस सूर्य ग्रहण को बहुत ही अधिक प्रभावशाली बनाएगा।
स्वतंत्र भारत की कुंडली के दूसरे भाव में यह ग्रहण घटित होगा जो भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी गहरा प्रभाव डालेगा और बैंकिंग सेक्टर में भी काफी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
यह ग्रहण बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है, जिसकी वजह से भूकंप आने, भूस्खलन होने, वर्षा की कमी होने और बहुत तेज हवाओं, आंधी या तूफान के योग बन सकते हैं।
यह सूर्य ग्रहण बड़े-बड़े देशों के मध्य सत्ता का संघर्ष और देश की आंतरिक समस्याओं में तेजी से वृद्धि होने का भी संकेत देता है।
इस ग्रहण के प्रभाव से जो लोग व्यापार करते हैं, उनके लिए यह अच्छे परिणाम मिलने के योग बनेंगे।
गेहूं, धान और अन्य अनाजों के उत्पादन में थोड़ी कमी आ सकती है और दूध के उत्पादन में भी गिरावट आने के संकेत दिखाई देते हैं।
ऐसे समय में जब कोरोनावायरस भी अपने पांव तेजी से पसार रहा है, यह ग्रहण हमें यह संकेत दे रहा है कि हमें स्वयं को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए कठोर नियमों का पालन करना ही होगा और उन पर चलकर हम इस कोरोनावायरस के संक्रमण से शीघ्र ही मुक्त हो सकते हैं।
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