अगर नहीं किया ये काम तो लटक सकती है 'राशन' पर तलवार, 31 जुलाई डेडलाइन



जयपुर: राजस्थान में चार साल बाद भी प्रशासनिक ढिलाई के चलते एनएफएसए (NFSA) में शामिल 33 फीसदी लाभार्थी आधार से लिंक नहीं हो पाए, लेकिन अब राज्य सरकार ने राशनकार्ड को बिना आधार से सीडिंग कराए गेहूं ले रहे एनएफएसए लाभार्थियों पर शिकंजा कस दिया हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) से जुड़े उन लाभार्थियों को गेंहू मिलना बंद हो सकता हैं. जिनका राशनकार्ड अब तक आधार कार्ड से  लिंक नहीं करवाया है. आधार नंबर को राशन से लिंक करवाए बिना लम्बे समय से राशन उठा रहे ऐसे लाभार्थियों को सरकार ने 31 जुलाई तक का समय दिया है. जिसके बाद भी यदि आधार लिंक नहीं हुआ तो उस लाभार्थी को गेंहू या अन्य लाभ नहीं मिलेगा.

31 जुलाई डेडलाइन, 1.62 करोड लाभार्थी अब तक आधार से लिंक नहीं
यदि समय रहते एनएफएसएस लाभार्थियों ने राशनकार्ड के सभी सदस्यों को आधार से लिंक नहीं कराया तो उनके राशन पर तलवार लटक सकती हैं. राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए राशन कार्ड को अब आधारकार्ड से लिंक कराना जरूरी होगा. खाद्य विभाग ने इसके लिए 31 जुलाई तक का समय दिया हैं. उसके बाद भी यदि आधार लिंक नहीं हुआ तो उस लाभार्थी को गेंहू या अन्य लाभ नहीं मिलेगा. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक प्रदेश में अभी भी 1.62 करोड़ ऐसे लाभार्थी है. जिनका आधार नम्बर राशन कार्ड से लिंक नहीं है. 

विभाग को अंदेशा है कि इनमें से कई मामले फर्जी निकल सकते है अर्थात विभाग का मानना है कि इनमे से कई लोग ऐसे है जो आज अस्तित्व में नहीं है, लेकिन उसके बावजूद उनके नाम राशन में जोडक़र फर्जी तरीके से गेंहू उठाया जा रहा है. ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रशासन ने आधार को राशनकार्ड से लिंक करवाने की डेडलाइन 31 जुलाई निर्धारित की है. लाभार्थी 31 जुलाई तक ई—मित्र अथवा ग्राम के पटवारी या सचिव के स्तर पर संपर्क कर आधार को राशनकार्ड से लिंक करवा सकते हैं.

यूं हुआ गडबडी का खेल, इसलिए कसा शिकंजा
प्रशासनिक ढिलाई के चलते राशन कार्ड के सभी सदस्यों को आधार कार्ड से लिंक नहीं करने से कालाबाजारी को बढावा मिला. बस यहीं से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गड़बड़ियों का खेल शुरू हो गया. जिन लोगाें के राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं है. उनके हिस्सों का गेहूं कालाबाजारी में जा रहा है. जाे लोग आधार कार्ड से लिंक नहीं है, डीलर उसी का फायदा उठाकर उनके हिस्से का गेहूं खुद उठा रहे हैं. ऐसा खेल काफी समय से चल रहा है. उधर केंद्र सरकार के निर्देशानुसार वन नेशन वन राशनकार्ड योजना को पूरी तरीके से लागू करने के लिए राशनकार्ड का के सभी सदस्यों के आधार नंबर सीडिंग होना जरूरी हैं.

2016 में पीओएस से राशन मिलना शुरू, लेकिन आधार लिंक में चार साल बीते
प्रदेश में 26 हजार राशन की दुकानों पर साल 2016 में तत्कालीन सरकार ने पोस मशीन से खाद्य सामग्री की वितरण व्यवस्था शुरू की. इसका मकसद राशन की दुकानों पर होने वाली कालाबाजारी को पूरी तरह से रोकना था. इसको लेकर राशन कार्डो को आधार कार्ड से लिंक करना शुरू किया गया. राशन कार्ड में शामिल प्रत्येक सदस्य को आधार कार्ड से लिंक किया जाना था लेकिन अभी तक राशनकार्ड में शामिल 34 फीसदी यानी 1.62 करोड व्यक्तियों के नाम आधार से लिंक नहीं हो पाए. पड़ताल की तो सामने आया कि कई उपभोक्ता अपना राशन लेने दुकानों तक नहीं पहुंचते है लेकिन फिर भी उनके हिस्से का गेहूं बराबर उठाया जा रहा है. रसद विभाग के अधिकारियों को भी इस मामले में जानकारी है, लेकिन अभी तक जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जा रही है. 

बहरहाल, राशन कार्ड में प्रत्येक सदस्य का नाम आधार कार्ड से लिंक होगा तो फायदा यह होगा कि स्वयं के हिस्से का गेहूं कालाबाजारी में नहीं जाएगा. गरीबों को सस्ती दर पर गेहूं की कालाबाजारी से आम आदमी पर महंगाई का बोझ पड़ता है.

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