जोर का लगा झटका और 3 दिन बाद उठ खड़ा हुआ विशालकाय पीपल, दैविक चमत्कार मान पूजा करने वालों का लगा तांता
बिहार के नालंदा जिले के एक पीपल के विशालकाय वृक्ष ने लोगों को अचंभित कर दिया। पूरी तरह धरती पर गिरे हुए पेड़ को आरी से काट रहे लोगों को जोर का झटका लगा और पेड़ उठ खड़ा हुआ। बिहारशरीफ शहर के सोहडीह देवी स्थान में हुई इस घटना की सूचना गुरुवार की देर शाम में ही जंगल में लगी आग की तरह फैल गयी। हजारों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोग इसे दैविक चमत्कार मानकर पूजा-अर्चना करने लगे हैं।
यह दरख्त 2 जून की अहले सुबह आयी आंधी-पानी के दौरान गिर गया था। उस वक्त भी यह वृक्ष काफी चर्चा में रहा। कारण, उसकी जड़ की एक शाखा से लगातार धारा के रूप में पानी गिर रहा था। 3 से 4 मिनट में एक गिलास पूरी तरह शुद्ध पानी निकल रहा था। हालांकि, एक दिन बाद पानी गिरना बंद हो गया। कई विशेषज्ञों ने पानी की जांच की थी। आरओ (पानी शुद्ध करने वाली मशीन) की मरम्मत करने वाले पिंटू कुमार ने उस पानी का टीडीएस 240 से 260 मापा था।
इसके बाद देवी स्थान पूजा कमेटी ने पेड़ को 25 हजार रुपये में धन्नू पासवान के हाथों बेच दिया। उन्होंने मजदूर व बढ़ई के द्वारा पेड़ कटवाना शुरू किया। पहले पतली-पतली टहनियां काटी गयीं। गुरुवार को जड़ के पास की मोटी शाखा को काटने के लिए कई मजदूर आरी चला रहे थे। इसी दौरान जोर का झटका लगा। मजदूर व आरा कई फीट दूर फेंका गये। जबतक मजदूर कुछ समझ पाते, पेड़ उठ खड़ा हुआ। वे लोग चिल्लाने लगे। घटना के आधे घंटे के अंदर हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं।
क्या है वैज्ञानिक पहलू
सूबे के इकलौते नूरसराय उद्यान महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. मणिकांत प्रभाकर और हरनौत कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ब्रजेन्दु कुमार ने बताया कि पीपल का वृक्ष जितना विशालकाय होता है, जड़ें भी काफी मोटी-मोटी व दूर तक फैली होती हैं। इस पेड़ की अधिकांश जड़ें मिट्टी से संपर्क में हैं। इसकी टैप रूट (मुख्य जड़) पर मिट्टी लदी थी। सारी टहनियां काट देने के कारण जड़ व मिट्टी तरफ का वजन टहनी की ओर से अधिक हो गया। इस कारण पेड़ अचानक उठ खड़ा हुआ। चूंकि, जड़ें अब भी मिट्टी में हैं। इस कारण, यह पेड़ फिर से हरा-भरा हो जाएगा। जहां तक पानी निकलने का सवाल है वह कोई चमत्कार नहीं है। बल्कि, जमीन से पत्तों तक पानी टहनी के माध्यम से ही जाता है। अचानक पेड़ गिर जाने के कारण उस पानी का उपयोग नहीं हो पाया होगा। वही जल कुछ घंटों तक धीरे-धीरे गिरा।
लोगों ने कहा
सोहसराय के थानाध्यक्ष बीके सिंह ने बताया कि पेड़ गिरने और उसके खड़ा होने के बाद भी वहां गया था। दोनों ही घटनाएं सही हैं। वैज्ञानिक कारण चाहे जो हो, लेकिन ऐसा हुआ है। सोहडीह के वृद्ध मेहता ज्ञानचंद, पुजारी राजू मिश्र के अलावा शारदा देवी, सुलोचना देवी, संगीता देवी, पिंटू कुमार व अन्य लोगों ने बताया कि पेड़ गिरने और उसके फिर से खड़े होने को देखा हूं। ऐसा हुआ है।
0 Comments