लॉकडाउन में स्कूलों की फीस को लेकर छिड़े विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने निजी स्कूल संचालकों के प्रति मेहरबानी दिखाते हुए जून माह से हरियाणा शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों और अभिभावकों के लिए फीस के मसले पर नया फरमान जारी किया है।
चंडीगढ़। लॉकडाउन में स्कूलों की फीस को लेकर छिड़े विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने निजी स्कूल संचालकों के प्रति मेहरबानी दिखाते हुए जून माह से हरियाणा शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों और अभिभावकों के लिए फीस के मसले पर नया फरमान जारी किया है। इसके तहत अभिभावकों को जून माह से नियमित ट्यूशन फीस जमा करवानी होगी।
इसके अलावा अभिभावक अप्रैल व मई माह की फीस किस्तों में जमा करवा सकेंगे। निदेशालय ने यह भी कहा है कि प्राईवेट स्कूल ट्यूशन फीस में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं करेंगे। फीस में छिपे हुए शुल्क को नहीं जोड़ा जाएगा। इसके अलावा स्कूल अभिभावकों से दाखिला फीस, बिल्डिंग शुल्क, रखरखाव शुल्क, कंप्यूटर फीस भी नहीं वसूलेंगे।
अभिभावकों से लॉकडाउन समय के दौरान का यातायात शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इस साल स्कूल बच्चों की स्कूल वर्दी में भी किसी तरह का बदलाव नहीं करेंगे। साथ ही बच्चों की पाठय पुस्तकों, कार्य पुस्तकों, अभ्यास पुस्तकों व प्रैक्टिकल फाइल में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। निदेशालय ने कहा है कि प्राइवेट स्कूल फीस न आने की सूरत में किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटेगा और उसे ऑनलाइन शिक्षा से भी वंचित नहीं रखेगा।
वहीं, निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने फीस के मसले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि सरकार ने सभी सक्षम अभिभावकों को एक माह की ट्यूशन फीस स्कूल में जमा करवाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सरकार के निर्देशों के बाद 95 प्रतिशत से अधिक अभिभावक असक्षम बन गए। केवल पांच प्रतिशत से कम अभिभावकों ने एक माह की ट्यूशन फीस जमा करवाई है। जिस कारण अध्यापकों का वेतन देना मुश्किल हो गया है। ऐसे में अगर अभिभावक फीस जमा नहीं करवाते तो उन्हें बच्चे का नाम काटने की अनुमति दी जाए।
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