दिल्ली के मैदानगढ़ी थाना पुलिस ने सीबीआई या पुलिस अफसर बन सम्मोहित कर ठगी व लूटपाट करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर में 100 से ज्यादा वारदात कर चुके हैं।
आरोपी ऐश की जिंदगी जीने के लिए वारदात करते थे और गुरुग्राम के लग्जरी होटलों में रुकते थे। पूछताछ के दौरान मैदानगढ़ी थाने के पुलिसकर्मी भी डर गए थे कि कहीं उन्हें सम्मोहित न कर दें। इनका वारदात करने का तरीका भी बहुत ही अनोखा है।
दक्षिण जिला डीसीपी अतुल ठाकुर के अनुसार छतरपुर निवासी एक व्यक्ति ने 27 मई को शिकायत दी थी कि उसकी 70 वर्षीय मां घर पर अकेली थी। तभी उसका व उसकी पत्नी का नाम लेकर एक युवक घर में घुसा। आरोपी ने उसकी मां से कहा कि उनके घर में पुलिस दबिश देने आ रही है।
घर की सारी ज्वेलरी व कैश वह बैग में रख दे। आरेपी ने उसकी मां को सम्मोहित कर दिया और घर से करीब पांच लाख रुपये की ज्वेलरी व नकदी लेकर फरार हो गया। मामला दर्जकर महरौली एसीपी रणवीर सिंह की देखरेख में मैदानगढ़ी थानाध्यक्ष जतन सिंह, भाटी माईंस चौकी प्रभारी उमेश यादव, पीएसआई रवि राणा व एसआई गजेन्द्र सिंह की टीम ने जांच शुरू की।
जांच में पता लगा कि आरोपी दो जून को राजपुर खुर्द गांव में एक महिला के घर गए और उससे कहां कि उसके पति को महरौली पुलिस ने पकड़ लिया है। वह महिला को महरौली थाने ले गया। महिला को महरौली थाने में छोड़कर वापस महिला के घर आ गया। घर बच्चों को सम्मोहित कर करीब पांच लाख रुपये नकदी व ज्वेलरी ले गया।
अमर कॉलोनी में सीबीआई अफसर बन बुजुर्ग से ज्वैलरी व कैश ले लिया था। पुलिस ने करीब 16 किमी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो पता लगा कि आरोपी ने बाइक मेट्रो पार्किंग में खड़ी की और वहां फॉर्च्यूनर कार से गया है। बाइक पर नंबर प्लेट फर्जी थी।
कई दिन की कड़ी जांच के बाद पुलिस ने हरकीरत, पंजाब निवासी लखविंदर सिंह उर्फ शिवा उर्फ शिवसेन उर्फ शिव कुमार(25), सोनू कुमार(38) और सन्नी(26) को गिरफ्तार कर लिया। सोनू व सन्नी को गुरुग्राम के एक लग्जरी होटल से गिरफ्तार किया गया है।
इनके पास से तीन लग्जरी कार, एक मोटरसाइकिल, सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर का फर्जी पहचान पत्र व लूटी गई ज्वेलरी बरामद की है। फिलहाल 25 वारदातें इनसे कनेक्ट हो गई हैं। लखविंदर के खिलाफ पहले से 17 अपराधिक मामले दर्ज हैं। 16 केस गाजियाबाद के हैं।
आंखों से सम्मोहित करते थे-
आरोपी पड़ोसी में पूछताछ कर एक घर को टारगेट करते थे। ये टारगेट किए हुए घर के सदस्यों की पूरी डिटेल जुटा लेते थे। जब घर का सदस्य बाहर चला जाता तो ये घर में घुसते थे। घर में घुसते ही ये घर के मालिक का नाम लेते थे।
फिर ये परिवार के सदस्यों को कोई न कोई बहाना बनाकर फंसा देते थे। आरोपी आंखों में आंख डालकर सम्मोहित करते थे। इन्होंने हर वारदात में पीड़ित को सम्मोहित करते थे। सम्मोहित होने के बाद पीड़ित होश खो देता है और सारा सामान आरोपी को दे देता है।
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