अब ताड़ी बनाएगी आत्मनिर्भर, नीरा से बनेगी चॉकलेट-आइसक्रीम!


नीरा ताड़ी सूर्योदय से पहले ताड़ पेड़ से निकाली जाती है और भारत के कई राज्यों में इसे एक पोषक स्वास्थ्य पेय के रूप में इस्तेमाल की जाती है. अब केंद्र सरकार ने नीरा के कारोबार को बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार की है. सरकार का कहना है कि इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं.


दरअसल अभी तक ताड़ी का कारोबार एक खास इलाके तक सीमित है. लेकिन अब खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने नीरा और ताड़ गुड़ का उत्पादन करने के लिए एक अनूठी परियोजना शुरू की है. इस परियोजना का उद्वेश्य साफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में नीरा को बढ़ावा देना है, इस कदम से इससे जुड़े लोगों के लिए नए रोजगार सृजन होंगे. 



यह परियोजना 16 जून को महाराष्ट्र के पालघर दहानु में लॉन्च की गई, इस इलाके में करीब 50 लाख से अधिक ताड़ के पेड़ हैं, सरकार का कहना है कि अभी तक यह कारोबार तकनीक में कमी की वजह से आगे नहीं बढ़ा पाया है. 



इस परियोजना की शुरुआत केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर की गई है. गडकरी का कहना है कि साफ्ट ड्रिंक के रूप में नीरा के उपयोग को बढ़ाने के लिए राज्य की कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि इसे व्यवसायिक रूप दिया जा सके. 



पालघर में केवीआईसी ने नीरा निकालने और ताड़ गुड़ बनाने के लिए 200 स्थानीय कारीगरों को टूल किट बांटे जिन्हें केवीआईसी द्वारा 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. इस टूल किट में फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरेटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स और चाकू, रस्सी और नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे अन्य उपकरण शामिल हैं. यह पहल 400 स्थानीय पारंपरिक पाशिकों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराएगी.



गौरतलब है कि देश भर में लगभग 10 करोड़ ताड़ पेड़ हैं. इसके अतिरिक्त, अगर समुचित तरीके से मार्केटिंग की जाए तो कैंडी, मिल्क चॉकलेट, पाम कोला, आइसक्रीम जैसे प्रोडक्ट्स और मिठाइयां भी नीरा से तैयार की जा सकती हैं. वर्तमान में, देश में 500 करोड़ रुपये के बराबर के ताड़ गुड़ नीरा का व्यापार किया जाता है. नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ इस टर्नओवर में कई गुना बढ़ोतरी होने की संभावना है.



बता दें, केवीआईसी ने नीरा और ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें नीरा का मानकीकृत संग्रह, प्रसंस्करण और पैकिंग आरंभ की जाए, जिससे इसे खराब होने से बचाया जा सके. 


केवीआईसी का कहना है नीरा को बाजार में उपलब्ध सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में बढ़ावा देने पर जोर है. ताड़ उद्योग भारत में रोजगार का एक प्रमुख सृजक हो सकता है. यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर और वोकल फॉर लोकल की अपील के साथ भी जुड़ा हुआ है.



इसके साथ ही नीरा में निर्यात की भी असीम संभावनाएं हैं, क्योंकि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों में भी इसका उपभोग किया जाता है. भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव, दादर एवं नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ताड़ के बहुत अधिक पेड़ हैं जो भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी उत्पादक बना सकते हैं.

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