कोरोना वाला मामला भारत में आए हो चुके हैं लगभग तीन महीने. और तीन महीनों में भारतीय लोगों के मोबाइल फ़ोन में एक और महत्त्वपूर्ण चीज़ ने जगह ले ली है. वो कोरोना वाली कॉलर ट्यून है. कोरोना से बचाव की हिदायत देते इस कॉलर ट्यून में जो आवाज़ है, तो जसलीन भल्ला की है.
जसलीन भल्ला दिल्ली की वॉयस ओवर आर्टिस्ट हैं. आजतक के साथ बातचीत में बताती हैं कि साल 2010 से वॉयस ओवर की दुनिया में काम कर रही हैं. पहले भी सरकारी और ग़ैरसरकारी प्रोजेक्ट के लिए काम किया है. आंगनवाड़ी के लिए, रेलवे के लिए, एयरलाइंस के लिए. लेकिन कोरोना की कॉलर ट्यून के बारे में बताती हैं,
“जब एक प्रोडक्शन हाउस की तरफ़ से हेल्थ मिनिस्ट्री का एक प्रोजेक्ट मेरे पास आया, तो मुझे पता नहीं था कि ये एक सोशल मैसेज है. मुझे अंदाज़ नहीं था की 30 सेकेंड के इस ऑडियो को इतना सुना जायेगा और हर किसी के फ़ोन पर होगा.”
अब कोरोना की कॉलर ट्यून तो बन गयी. लोगों के फ़ोन पर बजने लगी. फ़ोन पर बजने के बाद प्रतिक्रियाएं आनी थीं. तो क्या प्रतिक्रियाएं आयीं? जसलीन बताती हैं,
“कई लोग मुझे मैसेज करते हैं. कोई बहन कहता है तो कोई बेटी कहता है. कुछ लोग मेरी आवाज सुनकर मुझे भी सेफ रहने की हिदायत देते हैं.”
लेकिन एकदम ऐसा नहीं है. कुछ लोग परेशान भी हैं. बक़ौल जसलीन,
“बहुत सारा पॉज़िटिव रेस्पॉन्स भी मिला. कुछ लोग ये भी कहते हैं कि बार-बार तुम्हारी आवाज सुनकर इरिटेट हो गए हैं. रही बात मेरी तो मुझे अपनी आवाज में खुद को सलाह देते हुए सुनना कई बार अजीब भी लगता है.”
कोरोना के बारे में बात करते हुए जसलीन ने कहा,
“ये बहुत जरूरी है कि किसी न किसी माध्यम से आपको इस बीमारी की गंभीरता से अवगत कराते रहा जाए. नहीं तो हम इसको सीरियसली नहीं लेंगे. और जब इस बीमारी का दूसरा चरण आएगा तो हमें बहुत नुकसान हो सकता है.”
कोरोना के प्रोजेक्ट के बारे में और बात करते हुए जसलीन ने कहा,
“हमने लगभग डेढ़ महीने काम किया. बहुत सारे ऑडियो रिकॉर्ड किये. हमने कोरोना वारियर्स के लिए भी काम किया. उस ऑडियो में हमने ये मैसेज देने की कोशिश की कि सामाजिक दूरी बनाएं, भावनात्मक दूरी नहीं. कोरोना वारियर्स का ख़याल रखें. उनके काम को इज्जत दें. क्योंकि वो आपके लिए वो जंग लड़ रहे हैं. वो ऑडियो भी फ़ोन पर खूब चला. हम इसके माध्यम से एक दूसरे से जुड़ पाते हैं. क्योंकि हम सबकी समस्या एक ही है.”
आख़िर में जसलीन बताती हैं कि अब तक किए गए काम से उन्हें अधिकारियों या कम्पनी के मैनेजरों का फ़ीडबैक मिलता था. लेकिन अब कुछ बदल गया है,
“अब आम जनता बात कर रही है. लोग बता रहे हैं कि मैंने कैसा काम किया? या मेरे काम ने क्या बदला? क्या नहीं बदला?”
कहती हैं कि अपने काम के ज़रिए इस संकट के समय में अपने देश के लिए कुछ कर पाई. इस बात की मुझे बहुत खुशी है.
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