चीन की मोबाइल कंपनी VIVO के साथ करार खत्म करना नहीं चाहती BCCI, बताई ये वजह





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नई दिल्ली: बीसीसीआई (BCCI) अगले चक्र के लिए अपनी प्रायोजन नीति की समीक्षा के लिये तैयार है लेकिन आईपीएल (IPL) के मौजूदा टाइटल प्रायोजक वीवो (VIVO) से करार खत्म करने का कोई इरादा नहीं है और बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरूण धूमल (Arun Dhumal) का कहना है कि आईपीएल में चीनी कंपनी से आ रहे पैसे से भारत को ही फायदा हो रहा है, चीन को नहीं . सीमा पर गलवान में दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव के बाद चीन विरोधी माहौल गर्म है. 4 दशक से ज्यादा समय में पहली बार भारत चीन सीमा पर हुई हिंसा में कम से कम 20 भारतीय जवान शहीद हो गए .

उसके बाद से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग की जा रही है. धूमल ने हालांकि कहा कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा हो रहा है. बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रूपये मिलते हैं जिसके साथ 5 साल का करार 2022 में खत्म होगा . धूमल ने कहा, ‘जज्बाती तौर पर बात करने से तर्क पीछे रह जाता है. हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिए चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिये चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं .’

उन्होंने कहा,‘जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिये दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 फीसदी टैक्स चुका रहा है. इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं.’

पिछले साल सितंबर तक मोबाइल कंपनी ओप्पो (OPPO) भारतीय टीम की प्रायोजक थी लेकिन उसके बाद बेंगलुरू स्थित शैक्षणिक स्टार्ट अप बायजूज (BYJU'S) ने चीनी कंपनी की जगह ली. धूमल ने कहा कि वह चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने के पक्ष में हैं लेकिन जब तक उन्हें भारत में व्यवसाय की अनुमति है, आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड का उनके द्वारा प्रायोजन किये जाने में कोई बुराई नहीं है.

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