कोरोना वायरस पर डेक्सामेथासोन दवा के ट्रायल के शुरुआती नतीजे का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वागत किया है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से डेक्सामेथासोन दवा का करीब 2000 मरीजों पर ट्रायल किया गया था. ट्रायल में पता चला कि ये दवा कई मरीजों की जान बचाने में कामयाब रही है.
रिसर्चर्स का कहना है कि डेक्सामेथासोन पहली ऐसी दवा है जो कोरोना मरीजों की जान बचाने में कामयाब हो रही है. ब्रिटेन की सरकार ने डेक्सामेथासोन दवा से कोरोना मरीजों के इलाज को मंजूरी दे दी है. यह एक पुरानी और सस्ती दवा है.
लीड रिसर्चर प्रो. मार्टिन लैंड्रे ने कहा कि जहां भी उचित हो, अब बिना किसी देरी के हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को ये दवा दी जानी चाहिए. लेकिन लोगों को खुद ये दवा खरीदकर नहीं खाना चाहिए.
डेक्सामेथासोन दवा से खासकर वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले लोगों को फायदा हो रहा है. हालांकि, हल्के लक्षण वाले मरीजों में इस दवा से लाभ की पुष्टि नहीं हुई है.
WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा- 'यह पहला ऐसा ट्रीटमेंट है जिससे ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहने वाले लोगों की मृत्यु दर में कमी आती दिखी है. यह काफी अच्छी खबर है. मैं ब्रिटेन की सरकार, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अन्य लोगों को बधाई देता हूं.
ट्रायल के दौरान पता चला कि वेंटिलेटर पर रहने वाले मरीजों को ये दवा दिए जाने पर मौत का खतरा एक तिहाई घट गया. जिन मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई की जरूरत होती है, उनमें इस दवा के इस्तेमाल से मौत का खतरा 1/5 घट गया.
रिसर्चर्स का अनुमान है कि अगर ब्रिटेन में ये दवा पहले से उपलब्ध होती तो कोरोना से 5000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी, क्योंकि ये दवा सस्ती भी है.
ब्रिटिश ट्रायल के प्रमुख जांचकर्ता प्रो. पीटर हॉर्बी ने कहा- अब तक सिर्फ यही वो दवा है जो मौत की दर घटाने में कामयाब हुई है. यह एक बड़ी सफलता है.
लीड रिसर्चर प्रो. मार्टिन लैंड्रे ने स्टडी के हवाले से कहा कि ये दवा वेंटिलेटर पर मौजूद हर 8 मरीजों में से एक की जान बचा रही है. वहीं, ऑक्सीजन सपोर्ट वाले हर 20-25 मरीजों में से एक की जान बचाने में ये दवा कामयाब रही.
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