नकारा थे शाहिद अफरीदी, मौका देकर की गलती', आमिर सोहेल ने बताया 1999 में क्यों हारे विश्व कप


नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाड़ी अकसर अपनी ही टीम के खिलाफ बयानबाजी करते दिखते हैं। शोएब अख्तर हों, शाहिद अफरीदी हों, जावेद मियांदाद हों ये सभी पूर्व खिलाड़ी अकसर अपने साथी खिलाड़ियों या टीम को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं। अब इस फेहरिस्त में पाकिस्तान के पूर्व सलामी बल्लेबाज आमिर सोहेल (Aamer Sohail) का नाम भी जुड़ गया है, जिन्होंने 1999 वर्ल्ड कप में खेलने वाली पाकिस्तानी टीम को लोकल करार दिया है।

आमिर सोहेल (Aamer Sohail) अपने यूट्यूब चैनल पर कहा कि उन्हें लगता है कि 1999 वर्ल्ड कप में वसीम अकरम की कप्तानी वाली पाकिस्तानी टीम पूरे विश्व कप में एक लोकल टीम की तरह खेली थी। पाकिस्तान टीम हालांकि फाइनल में पहुंची थी और पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 132 रनों पर ढेर हो गई थी। इस लक्ष्य को ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से हासिल कर लिया था।

अफरीदी को चुनकर की बड़ी गलती

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर आमिर सोहैल का मानना है कि 1999 वर्ल्ड कप में अफरीदी को टीम में शामिल करना और उनसे सलामी बल्लेबाजी करवाना बहुत बड़ी गलती थी। आमिर ने कहा कि वो चाहते थे कि मोहम्मद यूसुफ खेलें, लेकिन उस समय के कप्तान वसीम अकरम ने अफरीदी को चुना, जिसको ना बैटिंग आती थी औ ना ही बॉलिंग।

आमिर सोहैल ने एक यूट्यूब शो में कहा, 'जब मैं 1998 में कप्तान था, तो मैंने सिलेक्टर्स के साथ इस बात का फैसला लिया था कि हमारे पास रेग्युलर सलामी बल्लेबाज होने चाहिए, जो विकेट पर टिक सकें और नई गेंद का सामना कर सकें। दुर्भाग्य से आपने शाहिद अफरीदी को चुना, वो फ्लैट और बिना उछाल वाली पिच पर गेंदबाजों की धुनाई कर विरोधी टीम को प्रेशर में ला सकता था, लेकिन जिन कंडीशन्स में हमें खेलना था, उसको देखते हुए यह बड़ा जुआ था। ना वो गेंदबाजी कर पाता था और ना ही बल्लेबाजी। अगर मैं वसीम अकरम की जगह कप्तान होता तो मैं मोहम्मद यूसुफ को अफरीदी पर तरजीह देता।'

1999 विश्व कप की हार के थे 2 कारण

पाकिस्तान ने ग्रुप बी में पांच में से चार मैच जीते और ग्रुप में टॉप पर रहे। सुपर सिक्स राउंड में भी पाकिस्तान टॉप पर रहा और सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड को हराया। फाइनल मैच में पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। अफरीदी उस मैच में खेले थे और पाकिस्तान महज 132 रनों का स्कोर बना पाया था। ऑस्ट्रेलिया ने 20.1 ओवर में ही लक्ष्य हासिल कर जीत दर्ज की थी। पाकिस्तान की उस हार के बारे में बात करते हुए आमिर सोहैल ने कहा कि टीम कॉम्बिनेशन और टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी के फैसले के चलते हम वो मैच हारे थे।

उन्होंने कहा, 'तो, मेरे हिसाब से उस वर्ल्ड कप में हमारी हार के दो कारण थे। एक यह कि आपका टीम कॉम्बिनेशन अच्छा नहीं था और दूसरा यह कि आपने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। मेरे क्रिकेट एक्सपीरियंस और ऑब्जर्वेशन के मुताबिक, हम उस पूरे टूर्नामेंट में एक लोकल टीम की तरह खेले थे। हम एक मैच में अलग और दूसरे मैच में अलग बैटिंग लाइन-अप के साथ खेल रहे थे और हर मैच में बैटिंग ऑर्डर में बदलाव हो रहे थे।'

फाइनल में अकरम ने दिया धोखा

उन्होंने आगे कहा, 'वर्ल्ड कप फाइनल से पहले खबर थी कि लंदन में बहुत बारिश हुई है। इस वजह से लॉर्ड्स मैदान पर गेंदबाजों को मदद मिलेगी। सलीम मलिक ने मुझे बताया था कि उन्होंने वसीम अकरम से गुजारिश की थी कि टॉस जीतने पर वो पहले बल्लेबाजी का फैसला ना लें इससे हम बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं। हमें मुश्किल पिच पर ऑस्ट्रेलिया के मजबूत बॉलिंग लाइन-अप के आगे अपने बल्लेबाजों की पोल नहीं खोलनी चाहिए।'

सोहैल ने दावा किया कि उन्होंने सलीम मलिक से इस बारे में बात की थी और अकरम भी टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी ही करना चाहते थे, लेकिन टॉस के समय उन्होंने अपना फैसला बदल दिया।

उन्होंने कहा, 'सलीम मलिक ने कहा था कि अकरम ने उनसे कहा था कि वो बिल्कुल पहले गेंदबाजी का ही फैसला लेंगे, अगर टॉस जीतते हैं तो। क्योंकि हमारे गेंदबाज उस समय अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, हम विरोधी टीम को कम स्कोर पर रोक सकते थे और अपने बल्लेबाजों का कॉन्फिडेंस इस तरह से बढ़ा सकते थे।'

अफरीदी की बजाय इस खिलाड़ी को चाहते थे टीम में करना शामिल

1996 से 1998 तक 6 टेस्ट मैचों और 22 वनडे में टीम की कप्तानी करने वाले सोहेल ने कहा कि टीम प्रबंधन ने शाहिद अफरीदी को सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतार कर गलती की क्योंकि एक ऑलराउंडर खिलाड़ी के तौर पर वह जरूरत पड़ने पर न तो गेंदबाजी कर पाते थे न ही बल्लेबाजी।

उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्यवश उन्होंने अफरीदी को चुना। उनमें काबिलियत है कि वह फ्लैट, कम बाउंस वाली पिच पर गेंदबाजों को खूब मारते थे और उनको दबाव में ला देते थे लेकिन चुनौतीपूर्ण स्थिति में यह बहुत बड़ा जुआ था। वह न ही बल्लेबाजी कर पाते थे न ही गेंदबाजी। मैं अगर अकरम की जगह कप्तान होता तो मैं मोहम्मद युसूफ को खिलाता।' अफरीदी उस वर्ल्ड कप की 7 पारियों में सिर्फ 93 रन ही बना पाए थे।

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