लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। वहीं, चीनी सेना द्वारा उठाए जा रहे इस कदम को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। मंत्रालय ने कहा है कि 30 जून को दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के बाद सैनिक पीछे हटे हैं।
चीन के ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान के हवाले से लिखा, भारत और चीन की सेनाओं के बीच 30 जून को तीसरी कमांडर स्तर की वार्ता में सीमा विवाद और जवानों को पीछे हटने को लेकर सहमति बनी। इस पर दोनों देशों ने प्रभावी उपायों के साथ प्रगति की है।
बता दें कि, गलवां घाटी में चीनी सैनिक अपने स्थान से पीछे हट रहे हैं। भारतीय सेना भी अपने स्थान से पीछे हटी है। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि 48 घंटों तक चली गहन कूटनीतिक चर्चा, सैन्य जुड़ाव और संपर्क के चलते चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं। एनएनआई ने बताया कि इन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा हुई, जिससे चीन को एक निर्णायक और दृढ़ संदेश गया।
वहीं, भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है कि सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुरूप चीनी सेना ने विवाद वाले क्षेत्र से टेंट, वाहनों और सैनिकों को 1-2 किलोमीटर पीछे कर लिया है। सूत्रों ने बताया है कि चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवां नदी क्षेत्र के गहराई वाले इलाके में मौजूद हैं। हालांकि, भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।
सूत्रों ने बताया है कि चीनी सैनिक पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हटे हैं। बता दें कि, यहीं पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। बताया गया है भारतीय सेना भी थोड़ा पीछे हटी है। वहीं, चीनी सैनिकों की इस स्थिति को लेकर भारतीय सेना की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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