कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक लगा दी है। ...
उज्जैन, श्रावण मास के सोमवार को सोमवती अमावस्या के संयोग में मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल की तीसरी सवारी निकलेगी। भक्तों को भगवान महाकाल के मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर के साथ शिवतांडव रूप में दर्शन होंगे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक लगा दी है। अन्य राज्यों के भक्त ऑनलाइन दर्शन ही कर सकेंगे।
सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि महाकाल मंदिर से सोमवार शाम चार बजे शाही ठाठबाट के साथ राजा की सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी। बड़ा गणेश, हरसिद्धि चौराहा, झालरिया मठ के रास्ते सिद्धआश्रम के सामने से सवारी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां महाकाल पेढ़ी पर पुजारी भगवान का शिप्रा जल से अभिषेक-पूजन करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्घि मंदिर के सामने से बड़ा गणेश होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
सोमवार को ही है रक्षाबंधन
बता दें कि इस बार का सावन महीना शिव भक्तों के लिए बहुत ही ज्यादा खास है। सावन महीने के चौथे सोमवार यानी 27 जुलाई को सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोवार संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है। रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्घि कारक माना गया है।
खास तरीके से की जाती है पूजा
महाकाल मंदिर के पं. महेश पुजारी ने बताया कि आम दिनों में सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का नैवेद्य लगाया जाता है, लेकिन शनि प्रदोष पर अवंतिकानाथ उपवास रखते हैं। इस दिन सुबह भोग आरती में भगवान को फलाहार में दूध अर्पित किया जाता है। शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को नैवेद्य लगाया जाता है।
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