अभयारण्य में डॉल्फिन की संख्या कम हो गई है। पिछले साल नदी में 78 डॉल्फिन थे जो अब 68 बचे हैं। रेत माफिया अभयारण्य को समाप्त कराने के पक्ष में हैं।...
दुर्लभ जलीय जीवों (डॉल्फिन, घड़ियाल और कछुआ) के लिए प्रसिद्घ मध्य प्रदेश के चंबल घड़ियाल अभयारण्य को रेत की खातिर समाा (डि-नोटिफाई) करने की साजिश शुरू हो गई हैं। क्षेत्र के रसूखदारों ने इस बारे में मांग उठाई है। वैसे तो यह मांग करीब पांच साल से चल रही है, पर प्रदेश में 26 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर एक बार फिर मांग चर्चा में है।
रेत उत्खनन पर लगी रोक
रेत माफिया इसके बहाने अभयारण्य की सीमा के अंदर से रेत निकालने की इजाजत चाहता है। जिस पर भिंड कलेक्टर ने करीब छह साल पहले रोक लगा दी थी। यदि रेत उत्खनन पर लगी रोक हटी तो चंबल नदी में पाए जाने वाले जीव डॉल्फिन, घड़ियाल और कछुआ का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।
चंबल में पानी कम होने से डॉल्फिन-घड़ियाल और दुर्लभ प्रजाति के कछुए खतरे में
वैसे भी चंबल नदी में घटते पानी के चलते इनका जीवन पहले से ही खतरे में है। वर्ष 1983 में घोषित चंबल वन्यजीव अभयारण्य 280 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इसमें दुर्लभ रेड क्राउन रूफ टर्टल (तिलकधारी) कछुआ, डॉल्फिन और घड़ियाल पाए जाते हैं। इनमें से कछुए की यह प्रजाति दुनिया में सिर्फ चंबल नदी में पाई जाती है। जबकि डॉल्फिन गंगा, यमुना एवं सिंध और घड़ियाल चंबल के अलावा यमुना नदी में भी पाए जाते हैं।
जलीय जीवों के संरक्षण पर राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते वन विभाग असफल
इन जलीय जीवों के संरक्षण के लिए वन विभाग खासे प्रयास कर रहा है, पर राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते इसमें सफलता नहीं मिल रही है। हालात यह हैं कि पड़ोसी राज्य राजस्थान के 11 बड़े शहरों सहित सैकड़ों गांवों को चंबल नदी से 827 मिलियन लीटर पानी दिया जा रहा है। इससे मध्य प्रदेश में चंबल की धारा कमजोर पड़ रही है, जो इन जलीय जीवों के लिए खतरे की घंटी है।
रेत माफिया अभयारण्य को समाप्त कराने के पक्ष में हैं
इस पर रेत माफिया की अपनी जरूरत है। वे अभयारण्य को समाप्त कराने के पक्ष में हैं। हाल ही में सरकार तक अभयारण्य की सीमा में रेत उत्खनन पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग पहुंची है। वन अधिकारियों ने यह निर्णय भिंड कलेक्टर पर छोड़ दिया है।
डॉल्फिन की संख्या कम हुई
अभयारण्य में डॉल्फिन की संख्या कम हो गई है। हाल ही में हुई गिनती में यह आंकड़े सामने आए हैं। पिछले साल नदी में 78 डॉल्फिन थे, जो अब 68 बचे हैं। हालांकि घड़ियाल की संख्या में वृद्घि बताई जा रही है। पिछले साल अभयारण्य में 1800 से ज्यादा घड़ियाल थे, जो इस बार 2200 हो गए हैं।
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