नई दिल्ली. टेस्ट क्रिकेट को वन डे की तरह रोमांचक बनाने के लिए एमसीसी की सिफारिशों पर चर्चा की गई. क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी ने तीन खास बदलाव का प्रस्ताव रखा है.
जिनमें पहली सिफारिश ये है कि टेस्ट मैच में भी नो बॉल पर फ्री हिट दी जाए. दूसरी बात ये है कि धीमे खेल में तेजी लाने के लिए शॉट क्लॉक का इस्तेमाल किया जाएं. जबकि तीसरी सिफारिश ये है कि वर्ल्ड टेस्ट क्रिकेट चैम्पियनशिप में एक ही तरह की बॉल को यूज किया जाएं.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक गैटिंग की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले हफ्ते बेंगलुरु में हुई बैठक में टेस्ट क्रिकेट के लिये कुछ बदलावों का सुझाव दिया है. इस समिति में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली भी शामिल रहे.
टेस्ट में स्लो ओवर रेट काफी धीमी प्रक्रिया है जिससे प्रशंसक खेल से थोड़ा दूर हो रहे हैं. इसलिये एमसीसी ने ‘शाट क्लॉक’ शुरू करने की जरूरत महसूस की.
जानिए क्या है शाट क्लॉक
क्रिकेट में स्लो ओवर रेट पर लगाम लगाने के लिए भी मीटिंग में चर्चा की गई. नए प्रस्तावित नियम के मुताबिक फील्डिंग कर रही टीम को अगला ओवर शुरू करने के लिए 45 सेकंड का टाइम दिया जाएगा.
बैटिंग कर रही टीम के नए बल्लेबाज को आने के लिए 60 सेकंड का समय दिया जाएगा. इसका पालन नहीं होने पर टीम को चेतावनी दी जाएगी. दूसरी दफा गलती होने पर विपक्षी टीम को 5 पेनल्टी रन दिए जाएंगे.
डीआरएस से होती है समय की बर्बादी
इसके साथ ही एमसीसी ने माना कि डीआरएस भी खेल की गति को धीमा करता है. इसलिए समिति को लगता है कि खेल की रफ्तार को बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए. इससे पहले भी टेस्ट मैच में दर्शकों की भीड़ जुटाने के लिए डे नाइट टेस्ट की शुरूआत हो चुकी है.
स्लो ओवर रेट है बड़ी समस्या
एमसीसी ने कहा कि जब इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के प्रशंसकों से टेस्ट क्रिकेट में दर्शकों की कम हिस्सेदारी के मुख्य वजह पूछी गई, तो 25 प्रतिशत प्रशंसकों ने स्लो ओवर रेट का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि इन देशों में स्पिनर बहुत कम ओवर फेंकते हैं, एकस्ट्रा टाइम के बावजूद भी एक दिन में 90 ओवर नहीं पूरे हो पाते है. इन देशों में स्पिनर कम ओवर फेंकते हैं. एकस्ट्रा टाइम के बावजूद भी एक दिन में 90 ओवर नहीं पूरे हो पाते है.
गेंद के इस्तेमाल पर भी हुई चर्चा
टेस्ट में कोई देश एसजी गेंद का इस्तेमाल करता है तो कोई कूकाबूरा. इस पर भी प्रस्ताव रखा गया कि सभी देश एक जैसी गेंद इस्तेमाल करें.
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