वैज्ञानिकों का बड़ा दावा, मास्क ना पहनने वालों की कम होती है..



कोरो’ना वा’य’रस तेज़ी से दुनिया भर में फैल रहा है। वहीं दुनिया के कई हिस्सों में इस जान’लेवा वा’य’रस की वैक्सीन बनाने का काम चल रहा है। लेकिन अभी तक किसी को भी इस मामले में कामयाबी नहीं मिल पाई है। सरकार सं’क्र’मण को रोकने के लिए मास्क का इस्तेमाल और सामाजिक दूरी का पालन करने पर जोर दे रही है। वहीं अब वैज्ञानिकों का कहना है कि मास्क का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने वालों की बौद्धिक क्षमता कम होती है।

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिर्फोनिया ने एक रिसर्च में खुला’सा किया है कि मास्क का पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे करना है, इसका फैसला इंसान के दिमाग पर निर्भर करता है। जो दिमाग की बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है। दरअसल हाल ही में रिसर्चर्स की एक टीम ने अमेरिका के 850 ऐसे लोगों पर सर्वे किया था, जिनकी इंटेलिजेंस लेवल बहुत बेहतर थी। वहीं इस सर्वे में मास्क पहनना और सामाजिक दूरी का पालन करना भी शामिल था।

इस सर्वे की मदद से रिसर्चर्स यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर क्यों लोग मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग पालन करने से इं’कार कर रहे हैं। उन्होंने इस सर्वे में पाया किया कि जिन लोगों की बौद्धिक क्षमता और कामकाजी क्षमता ज्यादा थी वह नियमों का पालन करने के बारे में ज़्यादा सोचते हैं। वहीं इस विषय में शोधकर्ता वाईवाई जैंग ने कहा कि “कामकाजी स्मृति जितनी ज्यादा होगी उतने ही बेहतर तरीके से निर्देशों का पालन होगा। कम बौ’द्धिक क्षमता वाले लोग निर्देशों की अवहेलना करने में ज्यादा आगे रहे। ऐसे में नीति निर्मा’ताओं और मीडिया को सामान्य बौद्धिक क्षमता के आधा’र पर निर्देशों के अनुपालन को बढ़ावा देना चाहिए। उनके जागरू’कता अभियान ऐसे होने चाहिए कि कम बौ’द्धिक क्षम’ता वाले लोगों को भी समझ में आएं।” 

उन्होंने आगे कहा कि “सामाजिक दूरी के नियमों को आदत बनने में अभी समय लगेगा। अभी इन निर्देशों को पालन के लिए लोगों को मान’सिक रूप से प्र’यत्न करना पड़ रहा है। लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को कुछ इस तरह अपनाना होगा कि उन्हें इसके लिए अत्यधिक मा’नसिक द’बाव न लेना पड़े।” कोरो’ना वा’य’रस के ऐसे मुश्किल वक़्त में सं’क्र’मण को रोकने के लिए मास्क का इस्तेमाल करें और सामाजिक दूरी का अच्छे से पालन करें।

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