पुलिस कंट्रोल रूम बैढऩ व लंघाडोल में होगी सुनवाई .....
सिंगरौली. चिटफंड कंपनियों द्वारा दिए गए कम समय में दो गुना रकम पाने जैसे अन्य लालच में फंस कर पूंजी गंवाने वालों के लिए राहत भरी खबर है। पुलिस व प्रशासन ने मिलकर पीडि़तों की रकम वापस दिलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक संयुक्त अभियान चला कर कंपनियों से पैसा वापस दिलाया जाएगा। कुछ ऐसी ही मंसा ने 27 जुलाई को पुलिस कंट्रोल रूम बैढऩ और लंघाडोल थाना में जनसुनवाई का आयोजन किया जा रहा है।
प्रशासन व पुलिस की ओर से शुरू किए जा रहे इस संयुक्त प्रयास में अब तक डूबा करोड़ों रुपए पीडि़तों को वापस मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसका ठीक आकलन २७ जुलाई को होनी जा रही सुनवाई के बाद मालूम पड़ सकेगा। पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक जनसुनवाई में प्राप्त आवेदन की जांच करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी और उन लोगों की रकम दिलाने की कोशिश होगी, जो ठगी का शिकार हो गए हैं।
जनसुनवाई का आयोजन करने के साथ ही पुलिस की ओर से लोगों को सतर्क भी किया जाएगा। साथ ही सलाह दी जाएगी कि लोग पूंजी केवल अधिकृत संस्थानों में ही लगाएं। चिटफंड जैसी किसी भी कंपनी को रुपए जमा करने का अधिकार नहीं होता है। असल में इस तरह की कंपनियां धोखे में रख कर लोगों से रकम लेती हैं और सदस्यता शुल्क के रूप में रकम जमा करती हैं। इसी के चलते लोग बाद में ठगी का शिकार हो जाती हैं।
सक्रिय रहते हैं कंपनियों के एजेंट
आमतौर पर पाया गया है कि कंपनियों की ओर से खाता खोलवाने के लिए ग्राहक खोजने एजेंट लगाए जाते हैं। फील्ड में सक्रिय एजेंट ही लोगों को कम समय में अधिक ब्याज मिलने जैसा अन्य प्रलोभन देकर जाल में फंसाते हैं और कंपनी में खाता खोलवाते हैं। बाद में जब कंपनी अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर नदारद हो जाती है तो यही एजेंट खुद भुक्तभोगी बनकर कंपनी के खिलाफ आवेदन कर देते हैं। एजेंट की ओर से उठाया गया यह कदम पूरी तरह से सुनियोजित होता है। क्योंकि एजेंट जानते हैं कि वह भुक्तभोगी बन कर कंपनी के खिलाफ आवेदन नहीं देंगे तो खुद फंस जाएंगे।
चार पर लगाया गया है प्रतिबंध, तीन नदारद
शिकायतों के बाद जांच कराए जाने पर चार चिटफंड कंपनियों की गतिविधि संदिग्ध पाई गई है। इसके मद्देनजर कलेक्टर की ओर से चार कंपनियों पर राशि जमा कराने पर प्रतिबंध लगाया है। प्रतिबंध के तहत चिटफंड कंपनियों को नवीन खाता खोलने और पूर्व में खोले गए खातों में राशि जमा करने की मनाही है। इसके अलावा तीन अन्य दूसरी कंपनियों के खिलाफ भी शिकायत है, लेकिन उनका कोई अता-पता नहीं मिला है। वह बोरिया बिस्तर समेट कर नदारद हो चुकी हैं। इन कंपनियों द्वारा तीन से चार करोड़ रुपए तक की हेराफेरी किया गया बताया जा रहा है।
प्रतिबंधित की गई कंपनियां
- स्वामी विवेकानंद के्रडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
- मोरल क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
- कैमुना क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
- में. सिम्बायोसिस के्रडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
नदारद होने वाली कंपनियां
- लोकहित भारती क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
- विंध्य भारती क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
- जीएन गोल्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी
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