सिक्किम से सटी भारत-चीन सीमा पर एक ऐसे शहीद वीर जवान की दास्तान जिसने अपने जीवन में पूरी निष्ठा और कर्तव्य के साथ देश की सुरक्षा की लेकिन मौत के बाद, आज भी उसकी आत्मा सरहद की सुरक्षा बड़े ही मुस्तैदी से कर रही है।हैरत करने वाली बात तो यह है कि इसके लिए उसे सैलरी भी मिलती है और उसका प्रमोशन भी होता है और तो और इस शहीद सैनिक की याद में एक मंदिर भी बनाया गया है जो कि लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इसकी पुष्टि बात की भारतीय सेना के कई जवान और चीन के सेना ने की है।
भारतीय पुलिस या फिर सेना जैसे सतर्क और बेहद संजीदा विभागों में अंधविश्वास नाम की कोई जगह नहीं होती, लेकिन यह वाकई हैरत में डालने वाली कहानी है। भारतीय सेना के फौजी बाबा हरभजन सिंह की कहानी। जिसमें भारतीय सेना का विश्वास भी टिका हुआ है, और यह कहानी वास्तविक होकर भी अविश्वनीय है।
इस रहस्यमयी फौजी बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 में पंजाब के सदराना गांव में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान में है। हरभजन सिंह 24 पंजाब रेजीमेंच में जवान थे। 1968 में ड्यूटी पर रहते हुए एक हादसे में वो शहीद हो गए। हादसे के बाद कई दिनों तक उनका शव भी नहीं ढूँढा जा सका। कहा जाता है कि एक दिन हरभजन सिंह एक जवान के सपने में आए और अपनी लाश की जगह बताई। अगले दिन सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ और ठीक उसी जगह बॉडी मिल गई। उनके अंतिम संस्कार के बाद उसी स्थान हरभजन का बंकर बना दिया गया और वहाँ पूजा पाठ होने लगी।
हम आपको बता दें कि बाबा हरभजन सिंह की आत्मा फिर से उसी सैनिक के सपने में आई और उन्होनें सपने में आकर यह बोला कि आज भी वह अपने कार्य में कार्यरत हैं और आज भी वे अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभा रहे हैं। इसके साथ ही बाबा हरभजन सिंह ने उनकी समाधि बनाए जाने की भी इच्छा प्रकट की।
बाबा हरभजन सिंह की इच्छा का मान रखते हुए एक समाधि बनवाई गई। भारतीय सेना ने साल 1982 में उनकी समाधि को सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच में बनवाया।लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बाबा हरभजन सिंह के मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपना मत्था टेकने आते हैं। इस मंदिर में बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनके जूते और बाकी सामान रखा हुआ है।
सरहद पर बाबा हरभजन सिंह की मौजदगी पर अपने देश के सैनिकों को तो भरोसा है ही, इसके साथ ही चीन के सैनिक भी इस बात को मानते हैं और खौफ खाते हैं कि बाबा बॉर्डर की रखवाली पर मुस्तैद हैं।कहा जाता हैं कि मौत के बाद बाबा हरभजन सिंह नाथुला के आस-पास चीन सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को सपने में देते रहते हैं, जो कि हमेशा की तरह सही साबित होती है।
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