12 अगस्‍त को रूस से आ रही है पहली कोरोना वायरस वैक्‍सीन, जानिए इसके बारे में सबकुछ

जिस तरह से कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है, उससे इतनी बात तो तय है कि इसकी वैक्‍सीन का अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में उसका सबसे बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। जो देश इसकी वैक्‍सीन सबसे पहले तैयार करेगा उसका एक अलग ही दबदबा कायम हो सकेगा। इसी दिशा में रूस ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं। जी हां, रूस 12 अगस्‍त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्‍सीन रजिस्‍टर कराने के लिए तैयारी कर चुका है। भारत का अहम रणनीतिक साझीदार और चीन का भी करीबी रूस, अब तक हथियारों के लिए जाना जाता है, अब हो सकता है कि कोरोना की वैक्‍सीन में भी उसका ही नाम हो।




रिव्‍यू के बाद लिया जाएगा बड़ा फैसला

रूस की कोरोना वायरस वैक्‍सीन को गमेलिया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट और रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से तैयार किया जा रहा है। हालांकि अभी क्‍लीनिकल ट्रायल डाटा और कोविड-19 वैक्‍सीन के दूसरी जरूरी डॉक्‍यूमेंट्स पर काम जारी है और ये सभी एक्‍सपर्ट रिव्‍यू से गुजर रहे हैं। रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा है कि वैक्‍सीन रजिस्‍ट्रेशन का फैसला इसके नतीजों को देखकर लिया गया है। मंत्रालय ने कहा है, 'स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के गेमेलिया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट की तरफ से विकसित वैक्‍सीन को रजिस्‍टर कराने के लिए कुछ डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत है, जिसमें क्‍लीनिकल ट्रायल डाटा भी शामिल है, ये सभी एक्‍सपर्ट रिव्‍यू के लिए गए हैं। रजिस्‍ट्रेशन का फैसला रिव्‍यू के नतीजों पर होगा।'

सबसे पहले किसे दी जाएगी वैक्‍सीन

रूस के उप-स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ओलेग ग्रिडनेव ने स्‍थानीय न्‍यूज एजेंसी स्‍पूतनिक को बताया है कि वैक्‍सीन के लिए फेज-3 का क्‍लीनिकल ट्रायल जारी है। उन्‍होंने यह भी बताया है कि सबसे पहले सीनियर सिटीजंस और मेडिकल प्रोफेशनल्‍स को वैक्‍सीन दी जाएगी। रूस की इस कोरोना वायरस वैक्‍सीन का ट्रायल देश के दो इंस्‍टीट्यूस्‍ट्स में जारी है- बुरदेनको मेन मिलिट्री क्‍लीनिकल हॉस्पिटल और सेशेनोव फर्स्‍ट मॉस्‍को स्‍टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी। 18 जून को वैक्‍सीन का क्‍लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ था जिसमें 38 वॉलेंटियर्स शामिल हुए थे। सभी वॉलेंटियर्स ने डोज देने के बाद इम्‍यूनिटी विकसित कर ली थी। 15 जुलाई को पहले ग्रुप को डिस्‍चार्ज कर दिया गया था और दूसरे ग्रुप को 20 जुलाई को छुट्टी मिली थी।

कैसे तैयार की गई वैक्‍सीन

गेमेलिया नेशनल रिसर्च सेंटर के डायरेक्‍टर एलेक्‍जेंडर जिंट्सबर्ग ने बताया कि एडेनोवायरस के आधार पर निर्जीव कणों के लिए वैक्‍सीन को प्रयोग किया गया था। उन्‍होंने यह भी बताया है कि इसने किसी भी व्‍यक्ति के शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। रूस की टेक्‍नोलॉजी वेक्‍टरर वैक्‍सीन है जो SARS-CoV-2 प्रकार के एडेनोवायरस के डीएनए पर आधारित है। रूस के वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना वायरस से जेनेटिक (आनुवांशिक) मैटेरियल को इससे निकाला और फिर उसे बिना नुकसान वाले कैरियर वायरस में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद इसके बहुत छोटे कणों को इंसानों को दिया गया। स्‍पूतनिक न्‍यूज के मुताबिक इसी तरह से इसने इम्‍यून प्रतिक्रिया विकसित कर ली।

WHO बोला-नियमों का पालन करे रूस

एलेक्‍जेंडर के मुताबिक कोविड-19 के कण सबसे ज्‍यादा असहजता की वजह बन सकते हैं क्‍योंकि जब कोई बाहरी एंटीजेट इंजेक्‍ट किया जाता है तो वैक्‍सीन हासिल करने वाले व्‍यक्ति का इम्‍यून सिस्‍टम और शक्तिशाली होता है। कुछ लोगों को इस दौरान प्राकृतिक तौर बुखार रह सकता है। क्‍लीनिकल ट्रायल के दौरान वॉलेंटियर्स का तापमान 37 डिग्री से 38 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। एलेक्‍जेंडर के मुताबिक इस तरह के प्रभाव को पैरासिटामोल से ठीक किया जा सकता है। वहीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍लूएचओ) ने रूस से कहा है कि वह सभी तय निर्देशों का पालन सुरक्षित वैक्‍सीन को विकसित करने के लिए करे।

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