Final Year Exam: सुप्रीम कोर्ट में 14 अगस्त को होगी सुनवाई, छात्रों को परीक्षा की तैयारी करने की सलाह

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की 6 जुलाई को जारी गाइडलाइंस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई है। याचिकाओं में कोविड-19 महामारी को देखते हुए अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा रद्द करने की मांग की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है। इससे पहले मामले में सुनवाई 31 जुलाई को हुई थी। आपको बता दें यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देशभर के सभी विश्विद्यालयों से कहा है कि 30 सितंबर से पहले परीक्षाओं का आयोजन हो जाना चाहिए। जबकि छात्रों का कहना है कि फाइनल ईयर की परीक्षाओं को रद्द करने के बाद छात्रों का रिजल्ट पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर जारी होना चाहिए।


आज हो रही सुनवाई में यूजीसी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार महता ने कहा कि यही एकमात्र आयोग है, जो डिग्री देने से संबंधित नियम बना सकता है। राज्यों को नियम बदलने का अधिकार नहीं है और परीक्षा ना देना छात्रों के हित में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों को परीक्षा की तैयारी जारी रखनी चाहिए। वहीं 31 छात्रों की ओर से पेश हुए वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि वह शीर्ष अदालत से अनुरोध करेंगे कि वे छात्रों को उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और नौकरी / प्रवेश के अवसरों पर विचार करने के लिए राहत प्रदान करे। इस मामले में इंडिया वाइड पेरेंट असोसिएशन की चीफ अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वो छात्रों के हित में होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी को महाराष्ट्र और दिल्ली के एफिडेविट का जवाब दाखिल करने को भी कहा है।

इससे पहले यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। जिसमें उसने कहा था कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक छात्रों का भविष्य संभालने के उद्देश्य से आयोजित कराने का फैसला लिया गया है। ताकि उन्हें आगे की पढ़ाई में परेशानी ना आए। यूजीसी ने अपने जवाब में राज्य सरकारों के साथ साथ याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि टर्मिनल वर्ष के दौरान अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षाएं आयोजित करके उनके द्वारा किए गए 'विशेष इलेक्टिव पाठ्यक्रमों' के अध्ययन का परीक्षण जरूरी है।

इसके साथ ही यूजीसी ने कहा था कि परीक्षाएं कराने का फैसला एचआरडी के दिशा निर्देशों का पालन करके विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श करने के बाद लिया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फाइनल ईयर के ऐसे बहुत से छात्र हैं जो या तो खुद या फिर उनके परिवार के सदस्य कोविड-19 से संक्रमित हैं। ऐसे में इन छात्रों को 30 सितंबर तक फाइनल ईयर की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर किया जाना, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है।

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