पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को स्मार्ट क्रिकेटर माना जाता है. वह मैदान पर तथा मैदान के बाहर हमेशा से ही अचानक ही निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई मौकों पर साबित करके दिखाया है. आप उनके सन्यास वाले फैसले का ही उदाहरण ले सकते हैं. इसके अलावा धोनी ने मैदान के अन्दर भी कई ऐसे फैसले लिए जो हैरान करने वाले थे.
धोनी के अचानक और अनोखे फैसलों ने ना केवल सबको हैरान किया है, बल्कि बड़े मौकों पर जीत भी दिलाई है. 2019 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच के बाद से महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट से दूर थे, जिसके बाद अब उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से सन्यास ले लिया है. आईपीएल में फैन्स को उन्हें एक बार फिर से मैदान पर देखने की अजब सी चाह है.
धोनी ने अपने करियर के दौरान अपने फैसलों से क्रिकेट के प्रति अपनी समझ को साबित भी किया है. उन्होंने कई बडे़ मौकों पर ऐसे फैसले लिए, जिन्हें देखकर हर कोई असमंजस में आ गया था कि धोनी ने ये क्या कर दिया. लेकिन धोनी के फैसले लगभग हर बार सही साबित हुए हैं आइए देखते हैं उनके द्वारा लिए गए ऐसे ही 4 हैरतंगेज फैसले, जिन्होंने टीम को जीत दिलाई.
4, 2007 टी-20 वर्ल्ड कप में अंतिम ओवर जोगिंदर शर्मा से कराना
धोनी के इन्ही हैरतंगेज फैसलों में चौथे नंबर पर आता है उनके द्वारा टी20 विश्वकप में जोगिन्दर शर्मा से गेंदबाजी कराने का निर्णय. दरअसल आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में हरभजन सिंह का एक ओवर अभी भी बचा हुआ था, लेकिन धोनी ने भज्जी के बजाय जोगिंदर शर्मा को अंतिम ओवर सौंप दिया.
आपको बता दें कि उस समय पाक टीम के कप्तान मिसबाह उल हक 35 गेंदों पर 37 रन बनाकर खेल रहे थे. धोनी ने चांस लिया, क्योंकि हरभजन के 17वें ओवर में मिसबाह तीन छक्के लगा चुके थे. पाकिस्तान को इस मैच को जीतने के लिए अंतिम ओवर इमं 13 रनों की जरूरत थी.
जोगिंदर ने वाइड से जब ओवर की शुरुआत की तब सभी को लगा कि ये मैच तो भारत के हाँथ से गया. जब दूसरी गेंद पर मिस्बाह ने छक्का मारा तब भारतीय फैन्स की सांसे अटक गयीं. हालाँकि कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. जोगिंदर की तीसरी गेंद पर मिसबाह ने एक पैडल शॉट लगाया जो सीधे श्रीसंत के हाथों के हांथों में चला गया और भारतीय टीम ने यह मैच 5 रन से अपने नाम कर लिया.
3, 2011 के वर्ल्ड कप में महेंद्र सिंह धोनी ने खुद को पांचवें नंबर पर किया प्रमोट
कोई भी भारतीय फैंस महेंद्र सिंह धोनी द्वारा विश्वकप 2011 में खुद को नंबर 5 पर प्रमोट करने के निर्णय को नहीं भूल सकता है. आखिर भूले भी कैसे इसी मैच में तो भारतीय टीम ने 28 साल बाद दूसरी बार मुम्बई के वानखेड़े मैदान पर विश्वकप की ट्रॉफी उठाई थी. जो हर किसी के लिए अद्भुद अनुभव है.
दरअसल 2011 के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ भारत 275 रनों का पीछा कर रहा था. वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली आउट के रूप में 3 बड़े विकेट सस्ते में पवेलियन लौट चुके थे. हालाँकि अभी भी 161 रनों की और जरूरत थी. लेकिन सब लोग हैरान तब हो गए जब शानदार फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह की जगह भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दायें हाँथ में बल्ला लिए मैदान पर आये.
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में धोनी पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए. फिर धोनी ने श्रीलंकाई गेंदबाजों की जो खटिया खड़ी करी उसका गवाह पूरा विश्व बना. इस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रन बनाकर टीम को दूसरा विश्व कप जितवाया. हालाँकि गौतम गंभीर की 97 रन की महत्वपूर्ण पारी को याद ना करना बेमानी होगी.
2, गांगुली-द्रविड़ को वनडे से बाहर बिठाना
धोनी के सबसे हैरतंगेज निर्णय में दूसरे नंबर पर बारी आती है उनके एक ऐसे निर्णय की जिसमें उन्होंने अपने ही पूर्व कप्तान सौरव गांगुली तथा राहुल द्रविड़ को टीम से अचानक बाहर कर दिया था. दरअसल 2008 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया- श्रीलंका के साथ त्रिकोणीय सीरीज में सौरव् गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे सीनियर खिलाड़ियों को ड्रॉप कर दिया था.
गांगुली और द्रविड़ की जोड़ी 50 ओवर के खेल में तकरीबन 23,000 रन बना चुकी थी. ऐसे में इस सफल और सीनियर जोड़ी को वनडे से बाहर करने के धोनी के इस फैसले से हर कोई हैरान था. जब बीसीसीआई सचिव निरंजन शाह से इसकी वजह पूछी गई तो उनका जवाब था कि हमारा फील्डिंग पर जोर था.
इसलिए हम युवा खिलाड़ी चाहते थे. आपको बता दें की इसी श्रंखला में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली त्रिकोणीय सीरीज जीतकर इतिहास रचा था.
1, रोहित शर्मा से ओपनिंग कराने का निर्णय
2013 महेंद्र सिंह धोनी तथा रोहित शर्मा दोनों के लिए ही के लिए खास था. धोनी इससे पहले वनडे वर्ल्ड कप, वर्ल्ड कप टी-20 और चैंपियंस ट्रॉफी जीत चुके थे. वह दुनिया के पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती थीं. यही वह साल था, जब उन्होंने इनकंसीस्टेंट खिलाड़ियों की टीम में पक्की जगह बनाने के लिए कुछ प्रयोग किए।
रोहित शर्मा 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में टीम में शामिल थे, लेकिन वह लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. 2011 में धोनी पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने रोहित शर्मा को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर ओपन करने का अवसर दिया. रोहित ने तीन पारियों में केवल 29 रन बनाए. इसी कारण धोनी के इस फैसले से सभी हैरान थे.
हालाँकि इसके बावजूद 2013 में रोहित को एक बार फिर पारी की शुरुआत करने का अवसर दिया गया. मोहाली में रोहित ने 83 रन की पारी खेली. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मध्यक्रम से निकलकर वह दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज बन गए. उन्होंने ओपनिंग करते ही 3-3 दोहरे शतक जड़े.
0 Comments