बाजार में उतार चढ़ाव की बढ़ी आशंका, म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए

Right Strategy: शेयर बाजार में इन दिनों जमकर उतार चढ़ाव बना हुआ है.

Right Strategy to Invest in Mutual Funds: शेयर बाजार में इन दिनों जमकर उतार चढ़ाव बना हुआ है. घरेलू बाजार ही नहीं पिछले कुछ दिनों से दुनियाभर के बाजारों में ऐसी हलचल है. घरेलू स्तर पर बाजार की बात करें तो निफ्टी 11700 से 12000 के दायरे में हिचकोले खा रहा है. पिछले 3 दिनों के दौरान बाजार में 2 बार भारी गिरावट आई है. वहीं, ग्लोबल बाजारों में भी तेजी के बाद मुनाफा वसूली देखी जा रही है. ऐसे में इक्विटी म्यूचूअल फंड को लेकर निवेशकों का कनफ्यूजन दूर नहीं हो पा रहा है. वैसे भी म्यूचुअल फंड मार्केट में अभी ज्यादातर सेग्मेंट के रिटर्न पर दबाव दूर नहीं हुआ है. यहां तक पिछले 5 साल में लॉर्जकैप फंडों में भी बहुत कम ही फंड ऐसे हैं जिन्होंने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है.

एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ग्लोबल स्तर पर कुछ कारण हैं, जिससे बाजार में उतार चढ़ाव बढ़ने की आशंका और बढ़ गई है. यूरोप में कोरोना वायरस के दूसरी लहर आने से वहां के बाजारों में दबाव है. यूएस में कोरोना वामिलने पर भी स्थिति साफ नहीं हो पा रही है. घरेलू स्तर पर अर्निंग सीजन निवेशकों में ज्यादा उत्साह नहीं भर पाया है. घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था को लेकर भी दबाव है. इस वित्त वर्ष जीडीपी निगेटिव में ही रहने का अनुमान है. एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा दौर में निवेशक सीधे इक्विटी में पैसा लगाने की बजाए म्यूचुअल फंड का रास्ता चुन सकते हैं. उनके लिए एसेट अलोकेशन सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. इसके अलावा लॉर्जकैप व लॉर्ज एंड मिडकैप फंड बेहतर दिख रहे हैं.

एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी

अगर निवेशक एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी पर चलते हैं तो उन्हें रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर इक्विटी और डेट फंड में निवेश करना चाहिए. अगर रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा है तो इक्विटी में 80 फीसदी और डेट में 20 फीसदी अलोकेशन होना चाहिए. वहीं, अगर रिस्क लेने की क्षमता मॉडरेट है तो इक्विटी और डेट में 50:50 फीसदी निवेश करें. लेकिन अगर कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर हैं तो यह रेश्यो 30:70 का होना चाहिए.

एसेट अलोकेशन फंड का फायदा यह है कि इसमें निवेशकों को अपनी रकम को इक्विटी, बांड, गोल्ड, कमोडिटी और कैश जैसे एसेट में लगाने का मौका मिलता है. इसमें पोर्टफोलियो अपने आप डाइवर्सिफाई हो जाता है, जिससे जोखिम कम होता है.

लॉर्जकैप फंड

आमतौर पर देखा गया है कि बाजार के उतार चढ़ाव में निवेशकों का भरोसा लॉर्जकैप फंडों पर बना रहता है. लॉर्जकैप फंड उन कंपनियों में पैसा लगाते हैं, जो वेल कैपिटलाइज होती है. कैपिटल की कमी न होने के चलते ये कंपनियां दबाव झेल सकती हैं. लॉर्जकैप फंडों को देखें तो लंबी अवधि में सामान्य तौर पर ज्यादातर में बेहतर रिटर्न मिलता है. ये मिडकैप और स्मालकैप की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं. अगर 5 साल या ज्यादा अवधि को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं तो ये स्कीमें बिना किसी बड़ी अस्थिरता के लंबी अवधि में पैसा बनाने में मदद कर सकती हैं.

लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें बेहद बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं. सेबी के नियम के अनुसार लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए निवेशकों से जुटाई गई रकम का कम से कम 80 फीसदी शीर्ष 100 कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. बाजार में अस्थिरता के दौरान छोटी कंपनियों की अपेक्षा ये अधिक स्थिर रहती हैं.

लॉर्ज एंड मिडकैप

स्लोडाउन के पीरियड में इक्विटी में कमजोरी आती है, जबकि रिकवरी पीरियड में खससतौर से मिडकैप में तेजी देखने को मिलती है. हालांकि बाजार अच्छा खासा रिकव होने के बाद वोलेटाइल हुआ है. फिर भी लॉर्ज एंड मिडकैप के जरिए निवेशक लॉर्जकैप की तुलना में कुछ बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं. असल में ये फंड लॉर्जकैप के अलावा, मिडकैप कंपनियों में भी पैसा लगाते हैं. पोर्टफोलियो में मिडकैप के साथ लॉर्जकैप भी शामिल होने से रिस्क कम होता है.

मिड कैप इक्विटी फंड जोरदार रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन उनमें बाजार का जोखिम भी अधिक होता है. ऐसे में अगर निवेशकों में जोखिम अधिक लेने की क्षमता है, वे इस सेग्मेंट को देख सकते हैं. निवेश का निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता का आंकलन जरूर करना चाहिए.

(Disclaimer: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने स्तर पर पड़ताल कर लें या अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श कर लें.


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