एक दौर था जब भारतीय सिनेमा में ऑन स्क्रीन पसंद की जाने वाली एक जोड़ी को ऑफ स्क्रीन भी एक दूसरे प्यार हो गया था। मगर दोनों की मोहब्बत किसी अंजाम तक न पहुंच सकी। बात हो रही है शोमैन राज कपूर और नरगिस दत्त की। इन दोनों की लव स्टोरी के बारे में आप सभी लोग कई बार सुन चुके होंगे। भारतीय सिनेमा के इतिहास में राजकपूर और नरगिस की प्रेम कहानी अमर है। दोनों ही एक दूसरे से प्यार करते थे इस बात की पुष्टि खुद राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने अपनी किताब 'खुल्लम-खुल्ला' में की हैं। हालाकि ऋषि कपूर का 30 अप्रैल 2020 को निधन हो चुका है। मगर, बॉलीवुड की पहली फैमिली का दर्जा प्राप्ट कर चुकी कपूर फैमिली के बारे में इस किताब में बहुत सारे खुल्लासे किए गए हैं। यह किताब 2017 में लॉन्च की गई थी। ऋषि कपूर के निधन के बाद से ही यह किताब और इस किताब में लिखी बातें एक बार फिर से चर्चा में हैं।
वैसे तो इस किताब में ऋषि कपूर ने बहुत सारे राज खोले हैं मगर, जो एक बड़ा राज खोला है वह यह कि नरगिस और राज कपूर की मोहब्बत महज एक अफवाह नहीं थी बल्कि हकीकत में दोनों एक दूसरे सच्ची मोहब्बत करते थे। मगर, जहां एक तरफ राज कपूर के पैरों में कृष्णा राज कपूर से शादी के बंधन में बंधे होने की बेडि़यां बंधी थीं वहीं नरगिस ने मोहब्बत में हमेशा देना ही सीखा कभी राज कपूर से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं रखी।
चलिए आज हम आपको बताते हैं कि राज कपूर के प्यार में पड़ नरगिस ने क्या-क्या किया।
फिल्म को सफल बनाने के लिए बिकिनी पहनी थी
वैसे तो राज कपूर और नरगिस की पहली फिल्म 'आग' थी मगर, राज कपूर और नरगिस की पहली मुलाका नरगिस के घर पर हुई थी। राजकपूर एक स्टूडियो बनाना चाहते थे और इस लिए वह नरगिस की मां जद्दनबाई से मिलने उनके घर पहुंचे थे। राज कपूर को पहली ही नजर में नरगिस के मासूमियत भरे चेहरे से प्यार हो गया था। मगर फिल्म बरसात की शूटिंग के दौरान दोनों के प्यार के चर्चे हर किसी के मुंह पर थे। जद्दनबाई को बेटी नरगिस का यूं एक शादीशुदा आदमी से अफेयर बिलकुल रास नहीं आ रहा था। इसलिए वह अब हर फिल्म में दखल देने लगी थीं। मगर, नरगिस के मन में राज कपूर के लिए जो मोहब्बत पल रही थी उसे रोक पाना उनके लिए कठिन था। फिल्म आवार की शूटिंग के दौरान राज कपूर ने 12 लाख रुपए का बजट तय किया था। मगर, फिल्म के एक गाने के लिए उन्होंने 8 लाख रुपए खर्च कर दिए थे। इस फिल्म को सफल बनाना राज कपूर के लिए जरूरी ही नहीं मजबूरी भी हो गया था। तब उस दौर में नरगिस ने फिल्म को सफल बनाने के बिकिनी पहनी थी। यह फिल्म सुपर हिट हुई थी।
आरके स्टूडियो के लिए गहने बेच दिए थे
पत्रकार मधु जैन ने अपनी किताब ‘फर्स्ट फैमिली ऑफ इंडियन सिनेमा: द कपूर्स’ में इस बात का जिक्र किया है कि जब राज कपूर आर्थिक संकट से गुजर रहे थे और आरके स्टूडियो को बेचने की नौबत आ गई थी तब नरगिस ही थीं जिन्होंने अपने सोने कंगन बेच आरके स्टूडियो को बिकने से बचा लिया था। किताब में यह भी बताया गया है कि राज कपूर नरगिस के बारे में कहते थे, 'मेरे बीवी मेरे बच्चों की मां है मगर मेरी फिल्मों की मां नरगिस है।'
मांगी थी कृष्णा राज कपूर से माफी
ऋषि कपूर की किताब ही नहीं बल्कि मधु जैन ने भी अपनी किताब में इस बात जिक्र किया है कि नरगिस और राज कपूर के अफेयर का कृष्णा राज कपूर पर क्या असर पड़ा था। कृष्णा राज कपूर ने खुद मधु जैन की किताब ‘फर्स्ट फैमिली ऑफ इंडियन सिनेमा: द कपूर्स’ में बताया है कि राज कपूर और नरगिस के अफेयर के दिनों में वह पलंग पर लेट कर रेडियो चला लेती थीं और गाना सुनती थीं 'आजा रे अब तेरा दिल पुकारे' कृष्णा ने यह भी कहा था कि, 'यह गाना तो जैसे मेरे लिए ही बना है। मैं पलंग पर लेट कर हमेशा यही सोचती थी कि वो घर कब आएंगे।' ऋषि कपूर ने अपनी बायोग्राफी 'खुल्लम खुल्ला- ऋषि कपूर अनसेंसर्ड' में बताया है कि फिल्म 'जागते रहो' की शूटिंग के खत्म होने के बाद नरगिस जी ने आरके स्टूडियो से अपना रिश्ता तोड़ लिया था। राजकपूर और नरगिस के बीच हुई एक छोटी सी तकरार ने बड़ा रूप लेलिया था।
मगर 24 साल बाद ऋषि कपूर की संगीत सेरेमनी के लिए कृष्णा राज कपूर ने खुद नरगिस को पूरे परिवार के साथ आमंत्रित किया था। बेहद हिचकिचाहट के साथ उन्होंने आरके स्टूडियो में कदम रखे थे। गौरतलब है कि ऋषि कपूर की शादी के सारे फंक्शन आरके स्टूडियो में हुए थे और 7 दिन तक शादी जलसा मनाया गया था। ऋषि कपूर ने किताब में लिखा है, 'मेरी मां नरगिस जी की हिचकिचाहट को समझ रही थीं। इसलिए उन्हें अलग लेकर गईं और कहा 'मेरे पति सजीले और रोमांटिक हैं। उनसे आकर्षित होना जाहिर है। अपने उपर अतीत को हावी न होने दें। आप मेरे घर खुशी के मौके पर आई है। आज हम दोस्तों की तरह यहां मौजूद हैं।'' तब नरगिस ने कृष्णा राज कपूर से माफी मांगी। इस कृष्णा राज कपूर ने उनसे कहा, 'वह सारी बातें अब खत्म हो चुकी हैं उन्हें दोबारा याद न करें।'
गौरतलब है, नरगिस और राजकपूर के बीच गलतफैमियां तब बढ़ी जब नरगिस के भाई अख्तर हुसैन ने उन्हें राजकपूर के खिलाफ भड़काया कि वह केवल हीरो पर केंद्रित फिल्में ही बनाते हैं। वहीं वर्ष 1954 में राजकपूर और नरगिस मॉस्को गए थे। वहां सभी नरगिस को राजकपूर की वाइफ समझ बैठे साथ ही जितनी पूछ राज कपूर की थी उतना नरगिस की नहीं थे। यह देख नरगिस को अच्छा नहीं लगा वह यात्रा को अधूरा छोड़ अकेली ही भारत आ गईं। इसके बाद से ही दोनों में दूरियां आ गईं थीं।
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