भारत में एक साल में बनकर तैयारी होगी कोरोना की वैक्सीन





दुनिया के कई देश कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं. कोरोना की वैक्सीन बनाने में कौन बाजी मारेगा ये तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन भारत का कहना है कि वह एक साल में वैक्सीन बना लेगा. भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा कि जिस वैक्सीन को बनाने में 10 साल लगते हैं, हमारी कोशिश उसे एक साल में बनाने की है. भारत में कोरोना की वैक्सीन बनाने को लेकर 30 ग्रुप काम कर रहे हैं. राघवन ने कहा कि सभी 30 कंपनियां अच्छी रफ्तार से काम कर रही हैं.

विजय राघवन ने कहा कि एक साल के अंदर वैक्सीन बनाने में लोगों को दिक्कतें महसूस हो रही हैं. सामान्य तौर पर वैक्सीन बनाने में 10 से 15 साल लगते हैं. और इसे बनाने में 200 मिलियन डॉलर खर्च होते हैं. ये भी कंफर्म नहीं होता है कि क्या ये वैक्सीन काम करेगी. इसका कितना असर होगा, मरीज को कितनी डोज देना होगा ये तो बाद में मालूम पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि कई तरह की वैक्सीन होंगी. लेकिन एक अच्छी बात है कि अब तक ऐसा नहीं लगा कि वैक्सीन नहीं बन पाएगी. हमें लगता है वैक्सीन बनाना संभव है. उन्होंने कहा कि दुनिया में वैक्सीन के डोज की जरूरत इतनी बड़ी है, इसमें अमीर और गरीब देश हैं, समाज के हर वर्ग के लोग हैं.

के विजय राघवन ने कहा कि जो बाद में वैक्सीन बनाएगा उसके पास पहले वाले से सीख लेने का मौका रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाले देशों में है. और भारतीय कंपनियां इसे बनाने में लगी होंगी. और जैसे ही पहली वैक्सीन बनकर आएगी वो भारतीयों को मिलेगी. उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाना बहुत मेहनत का काम है. ये कोई डिजीटल प्रोसेस नहीं है. ये एक लंबी प्रक्रिया है.

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