पुरानी गाड़ी खरीद रहे हैं तो ध्यान रखें ये जरूरी बातें, नहीं तो लगाते रह जाओगे RTO के चक्कर!



भारत में पुरानी गाड़ियों को खरीदने और बेचने का एक बड़ा बाजार है। यहां लोग अपनी पसंद की गाड़ी सस्ते में खरीद लेते हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि अब इस बाजार में और तेजी आने वाली है। वायरस के चलते लोग अब पब्लिक वाहन की बजाय निजी वाहन से चलना ज्यादा पसंद करेंगे। हालांकि हर व्यक्ति नई कार लेने में सक्षम नहीं है इसके चलते वह इस बाजार की ओर ही रुख करेगा। वहीं हमें पुरानी गाड़ी खरीदते समय बहुत सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। खासतौर पर दस्तावेजों की ठीक से जांच पड़ताल कर लेनी चाहिए नहीं तो फिर आरटीओ के ही चक्कर लगते रहेंगे। यानी अगर आप भी कोई सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदना चाहते हैं तो नीचे दिए गए टिप्स को ध्यान से पढ़ लीजिए... 

आरसी ट्रांसफर होना जरूरी

सबसे पहले जान लीजिए कि अगर आप अपनी कार बेच रहे हैं तो खरीदार के नाम पर वाहन का होना अनिवार्य है, जिसे आरसी कहते हैं। बता दें कि इस प्रक्रिया के बाद वाहन मालिक आधिकारिक तौर पर कार का मालिक बन जाता है। साथ ही सभी तरह की कानूनी देनदारी से भी बच जाता है। इसके लिए आपको अपने क्षेत्र के परिवहन कार्यलय (आरटीओ ) पर आवेदन करना होता है। मालूम हो कि किसी भी कार को बेचने के 14 दिन बाद उसकी आरसी ट्रांसफर होना जरूरी होता है। इसके लिए आरसी की ओरिजिनल कॉपी होना आवश्यक है। इस प्रक्रिया के दौरान आपको फॉर्म नंबर 29 भी भरना होता है।

फॉर्म को आरटीओ की वेबसाइट से भी कर सकते हैं डाउनलोड

इस फॉर्म में खरीदने वाले का एक पासपोर्ट साइज फोटो और जरूरी जानकारियां दी जाती हैं। इस फॉर्म को आरटीओ की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है। वहीं इसके बाद एक और फॉर्म 30 भरना होता है। जिसपर क्रेता और विक्रेता दोनों के फोटो और दोनों के ही हस्ताक्षर किए जाते हैं।

फॉर्म नंबर 28

इस प्रक्रिया के बाद फॉर्म नंबर 28 भी भरा जाता है। लेकिन यदि गाड़ी को एक ही राज्य के भीतर एक शहर से दूसरे शहर में ट्रांसफर किया जाता है तो फिर इस फॉर्म को भरने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में सरकार ने इस फॉर्म को भरना भी जरूरी कर दिया है। 
 

जरूरी कागजात

इस प्रोसेस के तहत आप प्रूफ के तौर पर आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा फीस के तौर पर आपको 300 भी जमा करने होते हैं। इन दस्तावेज के अलावा बीमा, पाल्यूशन सार्टिफिकेट आदि भी जरूरी होने चाहिए। 

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