इन साइबर ठगी तरीकों से रहे हमेशा सावधान, नहीं तो उड़ जायेगा आपके खाते से पैसा



ये हैं वे तमाम तरीके जिनके जरिये बैंकिंग ठगी होती है

मान लीजिए आप व्यापारी हैं, कोई आपको फोन करेगा कि भैया आपका फलाना प्रोडक्ट कित्ते का है? आप कहेंगे ये उत्ते रुपयों का है और इतनी गारेंटी है…सामने वाला कहेगा ओके हमें लेना है, पैक करके रख दो और पेमेंट आपको ऑनलाइन कर देता हूँ बस आप मेरी पेमेंट रिकवेस्ट एक्सेप्ट कर लीजिएगा.. आप जैसे ही मोबाइल पर आयी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करेंगे आपके खाते से पैसा उड़ जाएगा.. इस दुर्घटना से बचने के लिए सदैव सामने वाली पार्टी को अपना अकॉउंट नम्बर या paytm नम्बर देवें.. खुद की तरफ से कोई एक्टिविटी ना करें।


बैंक से सम्बंधित आपको कोई दिक्कत आन पड़ी, आपने सोचा गूगल से बैंक का कोई नम्बर ले लेता हूँ और प्रॉब्लम का सोलुशन पूछ लेता हूँ.. आप गूगल पर गये वहां से टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके अपनी समस्या बता दी.. बस वहीं पर आप ठग लिए गए। क्योंकि गूगल पर कोई भी खुद का नम्बर बैंक का बताकर डाल सकता है। इस तरह से ठगी होने के बाद आप थाने जाएंगे तब भी कुछ रिटर्न नहीं मिलने वाला है। याद रखिए, पुलिस बैंकिंग ठगी मामलों के निपटान में लगभग नाकामयाब ही साबित होती है। इसलिए कभी भी बिना पुष्टि के किसी नम्बर को बैंक का नम्बर मत समझिए, चाहे वो एटीएम सेंटर के अंदर ही क्यों ना लिखा हो। ठग आपसे दो कदम आगे चल रहा होता है। वो एटीएम के अंदर अपना नम्बर लिख जाते हैं, ताकि लोग सीधे उनकी खुराक बन जाए।


आपको रेलवे या कैब से रिफंड लेना है, आपने गूगल पर सर्च करके हेल्पलाइन नम्बर पर घंटी बजा दी तो उस स्थिति में आप ठगी के शिकार हो सकते हैं। कोई जरूरी नहीं कि जो नम्बर आप रेलवे का समझकर डायल कर रहे हैं वो रेलवे का ही हो.. वो किसी ठग का भी हो सकता है जो रिफंड अमाउंट ट्रांसफर करने का जाल बिछाकर आपका खाता ले उड़े।


फेसबुक अकाउंट के जरिये भी आपका बैंक अकॉउंट साफ हो सकता है। मान लीजिए आप फेसबुक यूजर हैं, आपने फेसबुक मैसेंजर इंस्टॉल कर लिया है। मैसेंजर स्टार्ट करते वक्त एप्प आपसे कुछ परमिशन मांगती है जिसमे एक परमिशन ये भी होती है कि आपके फोन पर प्राप्त हुआ टेक्स्ट मैसेज फेसबुक के मैसेंजर इनबॉक्स में भी मिलेगा। आप जैसे ही इस परमिशन को स्वीकृति देते हैं उधर हैकरों के लिए आपका बैंक अकाउंट साफ करने का रास्ता आसान हो जाता है। हैकर सिर्फ आपका फेसबुक अकाउंट हैक करेगा जो उसके लिए मुश्किल काम नहीं है और मैसेंजर पर प्राप्त हुआ ओटीपी लेकर खाता साफ कर डालेगा। क्योंकि सिम पर आने वाले तमाम मैसेज मैसेंजर में भी आएंगे.. ऐसे में हैकर को आपसे ओटीपी मांगकर लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।इस विपदा से बचने के लिए मैसेंजर पर टेक्स्ट मैसेज प्राप्ति की स्वीकृति कभी ना दें, और प्ले स्टोर पर जाकर फेसबुक मैसेंजर के रिव्यू बॉक्स में इस फंक्शन के ख़िलाफ़ एक रिव्यू जरूर लिखें क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि भारत में बैंकिंग ठगी बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। आप उन्हें अवगत कराइए।


आप नेट बैंकिंग इस्तेमाल करते हैं तो आपको प्ले स्टोर पर बैंकिंग एप्प डॉनलोड करते वक्त बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि प्ले स्टोर पर बैंक के फ़र्ज़ी एप्प भी मौजूद होते हैं, इस तरफ़ के फ़र्ज़ी एप्लिकेशन को इंस्टॉल करके जब आप उसमें अपना आईडी पासवर्ड डालते हैं तब वो आईडी पासवर्ड हैकर के सिस्टम पर जाकर सेव हो जाता है। आईडी पासवर्ड डालने के बावजूद जब आपका नेट बैंकिंग एप्लिकेशन नहीं खुलेगा तो आपको लगेगा सर्वर खराब है, लेकिन हकीकत में आपका आईडी पासवर्ड हैकर के पास पहुँच चुका होगा। इसलिए एप्लिकेशन इंस्टॉल करते वक्त सावधानी बरतें।


आपके मोबाइल पर कभी भी कोई कॉल आ सकता है जिसमें सामने वाला आपसे कहेगा कि “मैं फलानी सिम कम्पनी से बोल रहा हूँ, आपने सिम बन्द करने की रिक्वेस्ट डाली हुई है” आप कहेंगे मैंने तो सिम बन्द करने की रिक्वेस्ट नहीं डाली , फिर वो आपसे कहेगा ओके मैं आपकी सिम बन्द करने की रिक्वेस्ट कैंसल कर देता हूँ, लाइन पर रहिए.. फिर वो आपको थोड़ी सी तकलीफ देगा और सिम सचमुच बन्द कर देगा और उसी वक्त आपके उसी नम्बर की दूसरी सिम किसी अन्य क नाम से उठाकर आपका बैंक खाता साफ कर डालेगा। अतः किसी भी प्रकार के कॉल से सावधान रहिए, तरह तरह के कॉल्स होते हैं, जैसे कोई आपको भाग्यशाली बताकर 20 हज़ार का मोबाइल 6 हज़ार में बेचने को आएगा तो कोई आपको एम्स/रिफायनरी जैसी बड़ी संस्था में नौकरी देने की बात करेगा.. सब ठगी के बहाने हैं।




ठगी के तरीको में एक तरीका ये भी है कि ठग द्वारा आपके एटीएम कार्ड का क्लोन बना लिया जाए। या फिर यूँ हो कि आपने एटीएम निकासी के लिए अपना कार्ड मशीन में डाला, सब औपचारिकताएँ कर ली लेकिन पैसा नहीं निकला, उस स्थिति में सतर्क रहिए.. आपके कार्ड डालने से पहले कोई ठग एटीएम मशीन में कुछ फँसाकर आपका पैसा बाहर निकलने से रोक सकता है। आप सोचेंगे पैसा निकला नहीं और आपके निकलने के बाद ठग वही पैसा निकाल कर चंपत हो जाएगा। इस स्थिति से बचने के लिए एटीएम में खड़े रहक़र बैंक को सूचना दीजिए और तब तक वहीं पर खड़े रहिए जब तक मशीन वापस नॉट अंदर ना खींच ले।


एटीएम मशीन के अंदर किसी भी अनजान व्यक्ति को अपना कार्ड हाथ में ना दें। ये भी हो सकता है कि ठग अच्छे भेष में मशीन के बाहर खड़ा हो जाए और आप पैसा निकालने के लिए उसकी सहायता लेने की गरज से एटीएम उसे दे दें, इस स्थिति में ठग पैसे निकालकर आपके हाथ में तो दे देगा.. मगर नजरबंदी के खेल से वो आपको दूसरा एटीएम कार्ड पकड़ा देगा एवं असली कार्ड खुद के पास रख लेगा.. इस तरह से आपका खाता साफ होने की पूरी बिसात तैयार हो चुकी होगी।


ओएलएक्स या फेसबुक पर खरीदारी द्वारा भी ठगी की जा सकती है। इसमे ठग राशि के भुगतान हेतु आपको एक लिंक भेजेगा और भरोसा जीतने के लिए कुछ पैसे भी ट्रांसफर कर देगा.. उसके बाद डेबिट लिंक भेजकर आपके खाते में पड़ी रकम साफ कर देगा। इससे बचने के लिए आपको डेबिट लिंक और क्रेडिट लिंक में फर्क समझने की जरूरत है।


डिजिटल ठगों की रोकथाम एवं पकड़ के सम्बंध में बैंक असहाय हैं । बहुत सारे मामलों में पुलिस और बैंक समझ ही नहीं पाते कि आखिर ठगी किस रास्ते से हुई है। ऐसी ही एक ठगी का प्रकार है जिसमें ना तो आपके पास कॉल आएगा, ना ही कोई मैसेज आएगा और ना आप किसी एटीएम के करीब से भी गुजरे होंगे मगर पैसा कट जाएगा। किसी को पता नहीं पैसा किधर गया, बैंक डिटेल में ये बताया जाएगा कि आपने एटीएम निकासी की है। इससे बचने के लिए दो खातों के उपयोग कीजिए, जिसमें एक खाता ऐसा हो जो ना तो नेट बैंकिंग से जुड़ा हो और ना ही उस खाते का एटीएम कार्ड लिया हुआ हो। अधिक रकम उसी खाते में रखिए, और दूसरा खाता अपने रोजमर्रा के उपयोग के लिए रख लीजिए जिसमें जरूरत का कम पैसा हो और उसी को नेट बैंकिंग और एटीएम के उपयोग में काम लीजिए। कुल मिलाकर जिस खाते में ज्यादा रकम हो उसे एटीएम/नेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं से मुक्त रखिए, इस तरह से आप बड़ी ठगी से बचे रहेंगे।


ठगी के और भी खूब तरीके हैं जैसे “लॉटरी लगने, चेहरा पहचानने पर इनाम, वेबसाइट में ऑफर व सस्ते में सामान बेचने का झांसा, टॉवर लगाने के नाम पर झांसा, बंद इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू करने, नौकरी लगाने का झांसा, हर मनोकामना पूरी करने के पूजा-पाठ का झांसा, लोन दिलाने का आश्वासन वगैरह ठगी के प्रमुख रास्ते है। इलाज फिलहाल सिर्फ एक है, वो है सतर्क रहिए और दूसरों को भी सतर्क कीजिए। भारत में हर महीने हज़ारो बैंक खातों में ऑनलाइन ठग सेंध लगाने में कामयाब हो जाते हैं। पुलिस और बैंक को लाठी पीटने के लिए लकीर भी नहीं मिल पाती। सिर्फ सतर्कता ही बचाव है।



Post a Comment

0 Comments