मुंबई। 26 नवंबर 2008 को देश का आर्थिक राजधानी मुंबई में पाकिस्तान से 10 आतंकियों की एक टीम समंदर के रास्ते अंधेरे में पहुंची और फिर उन्होंने यहां पर 60 घंटों तक खून की होली खेली। जहां आतंकी कार्रवाई में सभी आतंकी मारे गए तो एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया। इस हमले के समय मुंबई पुलिस में इंस्पेक्टर रहे रमेश महाले को आज तक वह खौफनाक मंजर याद है। महाले ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कि कसाब ने एजेंसियों को गुमराह करने के लिए बताया था कि वह मुंबई सिर्फ बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन का बंगला देखने आया था।
शुरुआत से ही कसाब ने कहे कई झूठ
महाले इस केस में बतौर इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर जुड़े थे। उनकी जांच का विषय था हमलों का अहम सुराग आमिर अजमल कसाब।कसाब ने शुरुआत में पुलिस और जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए झूठ बोला। लेकिन आखिरकार उसने सच कुबूला और साजिश का पर्दाफाश करके रख दिया। महाले ने बताया, 'कसाब बहुत बुद्धिमान था। वहीं मेरे साथ भी 25 वर्ष की सर्विस वाले अनुभवी ऑफिसर जैसे राकेश मारिया और देवेन भारती थे जिन्होंने जांच में मेरी मदद की। कसाब पूरे समय झूठ बोलता रहा लेकिन आखिर में टूट गया।' कसाब पल-पल रंग बदल रहा था। पुलिस के सामने तो उसने सच उगला तो कोर्ट में उसने अपना बयान बदलकर फिर सबके माथे पर बल डाल दिए थे।
यकीन था मौत की सजा नहीं मिलेगी
कसाब ने अपने बचाव में जो कुछ कहा वह पूरी तरह से झूठा था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया। कसाब ने जांच एजेंसियों के सारा सच कुबूला कि कैसे इस पूरी साजिश को पाकिस्तान में तैयार किया गया था। कसाब ने बताया था कि लश्कर-ए-तैयबा ने इस पूरी साजिश को रचा और उसे अंजाम तक पहुंचाया। इसके साथ ही हमले के दौरान पूरे समय आतंकी अपने हैंडलर्स से सैटेलाइट फोन के जरिए संपर्क बनाए हुए थे।
अफजल गुरु से प्रेरित था कसाब
हैंडलर्स पाकिस्तान की सुरक्षित जगह पर बैठकर आतंकियों को पल-पल गाइड कर रहे थे। मुंबई हाई कोर्ट ने कसाब को मौत की सजा सुनाई थी और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा। हालांकि कसाब को उम्मीद थी कि उसे मौत की सजा नहीं मिलेगी। महाले को याद है कि कसाब को अफजल गुरु के केस से प्रेरणा मिली थी तो दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले में दोषी था।
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