चीनी बीमारी पर भारी पड़ी 2200 सौ साल पुरानी औषधियां, आयुर्वेद चिकित्सकों ने किया 35 कोरोना मरीजों पर रिसर्च



जोधपुर. कोविड-19 महामारी में अंग्रेजी दवाइयों के साथ आयुर्वेद दवाइयों से भी कोरोना संक्रमितों का मर्ज दूर किया गया है। आयुर्वेद चिकित्सकों ने चीनी बीमारी कोरोना वायरस से ग्रसित जोधपुर के 35 मरीजों को 22 सौ साल पुरानी चरख संहिता व चक्रपाणि में लिखी दवाइयों से कोरोना मरीजों कीतेजी से रिकवरी का दावा करते हुए कहा कि कई मरीज 10 दिन की बजाय 4 से 7 दिनों में ही स्वस्थ हो गए।

आयुर्वेद डाक्टर्स क्लब जोधपुर की टीम ने सीएमएचओ से अनुमति लेकर कोरोना मरीजों पर यह अध्ययन किया। चिकित्सा अधिकारी प्रभारी राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय बोयल डॉ. पारस जैन व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डॉ अभिषेक दाधीच के नेतृत्व में टीम ने 13 मई से कोविड केयर सेंटर बोरानाडा तथा होम क्वॉरंटीन में भर्ती कोरोना संक्रमितों को केस स्टेडी प्रोटोकॉल के अनुसार आयुर्वेद दवाइयां दी।

यूं किया उपचार
चिकित्सकों ने बोरानाडा में 15 मरीजों को आयुर्वेद दवा के साथ विटामिन-सी की खुराक दी। इन्हें जरूरत पडऩे पर एचसीक्यू व पॅराशिटामॉल लेने की सलाह दी गई, लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ी। इसके अलावा 20 होम क्वॉरंटीन मरीजों को शुरुआती 3 दिन ही एंटी कोल्ड व एंटीबायोटिक दिया गया। शेष आयुर्वेदिक दवाइयां दी गई।

चैलेंजिंग केस हुआ नेगेटिव
शहर के नई सड़क क्षेत्र निवासी 24 वर्षीय युवती प्रथम बार 24 अप्रेल को पॉजिटिव मिली। वह 22 मई तक निरंतर पॉजिटिव आ रही थी। रिसर्च टीम ने इसे चैलेंज केस मानते हुए 25 मई से प्रोटोकॉल अनुसार दवाइयां शुरू की। मरीज 31 मई को पुन: जांच में नेगेटिव आ गई।

ये थे टीम में
टीम में डॉ. जैन व डॉ. दाधीच के साथ डॉ. विजय सारण, डॉ. महेन्द्र सारस्वत, डॉ. खुशाल सांखला, डॉ. नवनीत दाधीच, डॉ. धर्मेन्द्र पारीक, डॉ. जोगेन्द्र प्रजापत, डॉ. शारदा कागट, डॉ. मुकेश सुथार, डॉ. मोतीलाल प्रजापत, डॉ. आरएस बिश्नोई आदि भी शामिल थे।

इस दवा ने यह काम किया
आयुर्वेद सुदर्शन घनवटी---- बुखार व दिमाग के तनाव को कम करना
गिलोय घटी---- इम्यूनिटी बढ़ाने का कार्य किया।
अश्वगंधा---- बलीय शक्ति के लिए मानसिक व न्यूरो मस्क्यूलर टॉनिक
वात श्लेष्मिक काढ़ा---- वात, बुखार, कफ व ज्वर रोकने के लिए
स्वर माधुरी---- गले में खरास, कफ जमा होने से रोकने के लिए चूसने की सलाह दी गई।

बढ़ावा देंगे
निरोगी राजस्थान अभियान के तहत सराहनीय कार्य हुआ है। हम इसको आगे बढ़ावा देंगे।
- डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ

शोध ज्यादा पर करते तो अच्छा रहता
बहुत अच्छी बात है कि आयुर्वेद चिकित्सकों ने मरीजों को ठीक करने का दावा किया है। कम से कम पांच सौ मरीजों पर दवा का प्रभाव दिखाते तो इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वेलिडिटी रख सकते है। बगैर अंग्रेजी दवाइयों के ठीक करते तो ज्यादा अच्छा रहता। वैसे सभी शामिल होकर काम करेंगे तो अच्छा परिणाम आएगा।
- डॉ. नवीन किशोरिया, सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज

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